
File Photo
सीमा कुमारी
नवभारत डिजिटल टीम: सनातन धर्म में छठ महापर्व बड़ा महत्व है। इस महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। नहाय-खाय आज यानी 17 नवंबर शुक्रवार को है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन नहाय-खाय मनाया जाता है। षष्ठी के दिन छठ पूजा और सप्तमी के दिन व्रत का पारण किया जाता है। नहाय-खाय के दिन से ही छठ पूजा (Chhath Puja 2023) के नियम-अनुष्ठान शुरू हो जाते हैं।
इसके अगले दिन खरना मनाया जाता है। छठ महापर्व सूर्य की आराधना का पर्व है। नहाय खाय के दिन नहाने और खाने की विधि की जाती है। इस दिन सबसे पहले घर की साफ-सफाई की जाती है। घर का गंगा जल से शुद्धिकरण किया जाता है। इसके बाद व्रत रखने वाली महिलाएं शाकाहारी भोजन बनाती हैं।
नहाय खाय के दिन शाम को पहले परिवार की व्रत रखने वाली महिलाएं भोजन करती हैं, उसके बाद अन्य सदस्य इस भोजन का सेवन करते हैं। नहाया खाय के दिन महिलाएं पूजा-अर्चना करने के साथ ही छठी माई की पूजा करने का संकल्प लेती हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड में छठ पर्व का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त सह्रदय एवं निश्छल मन से छठ माता व सूर्य देवता की आराधना करता है, उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है। इस दिन घर में जितने भी लोग छठ मैया का व्रत करते हैं वह, स्नान करके साफ और नए वस्त्र पहनते हैं। फिर व्रत शाकाहारी भोजन करते हैं। आम तौर पर इस दिन लौकी की सब्जी बनाई जाती है।
छठ महापर्व के दौरान फलों का भी विशेष महत्व होता है। इनमें संतरा, अनानास, गन्ना, सुथनी, केला, अमरूद, शरीफा, नारियल शामिल किया जाता है। इन सब के अलावा साठी के चावल का चिवड़ा, ठेकुआ, दूध, शहद, तिल और अन्य द्रव्य भी होते हैं। इनसे डूबते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है।






