ट्रैफिक पुलिस (फाइल फोटो)
Gondia News: नाबालिगों को गाड़ी देना उन्हें सड़क पर दूसरों की जान लेने की छूट देने जैसा है। तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हुए नाबालिग लड़के-लड़कियां अपनी जान जोखिम में डालने के साथ-साथ सड़क पर चल रहे बेगुनाह लोगों की जान भी ले लेते हैं। इस साल जिला यातायात पुलिस ने 16 साल से कम उम्र के 14 बच्चों को गाड़ी चलाते हुए पकड़ा और उन पर 5,000-5,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
इस पर लगाम लगाने के लिए, शहर के नागरिकों की राय है कि बच्चे की गलती पर पिता को सजा देने वाला यातायात नियम लागू किया जाए। उसे न तो कानून की जानकारी है, न ही ड्राइविंग लाइसेंस, फिर भी वह लापरवाही से गाड़ी चलाकर सड़क पर खुदकुशी कर लेता है। माता-पिता अपने बच्चों को उनके शौक पूरे करने के लिए गाड़ी दे देते हैं।
16 साल से कम उम्र के बच्चे गाड़ी चलाते हुए सड़क पर पैदल चलने वालों की जान ले लेते हैं। हजारों बच्चे बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाते हैं। ये नाबालिग उन चौराहों पर नहीं जाते जहां यातायात पुलिस तैनात होती है। वे उनका ध्यान भटकाकर अपनी गाड़ी तेज रफ्तार से दूसरी लेन में ले जाते हैं। यह उनका आम व्यवहार बन गया है।
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16 साल से कम उम्र के बच्चे सड़क पर वाहन चला रहे हैं, इन पर अब लगाम लगाने की जरूरत है। बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए, इन नाबालिगों को वाहन देना बेहद खतरनाक है। इन्हें वाहन देकर इनकी और दूसरों की जान खतरे में न डालें। वर्ष 2025 में नौ महीने में 14 लोगों पर कार्रवाई की गई। नाबालिग वाहन चालकों पर 5-5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
माता-पिता को अपने नाबालिग लड़के-लड़कियों को वाहन नहीं देना चाहिए। कोई भी व्यक्ति तेज गति से वाहन न चलाए, ओवरटेक न करे, भारी वाहन चलाने वाले वाहन बहुत धीमी गति से चलाएं, मोड़ पर वाहन न खड़ा करें।