सऊदी में कंफर्म हुई बकरीद की तारीख
नई दिल्ली: इस्लाम में ईद की तरह ईद उल-अजहा (बकरीद) का भी बहुत महत्व है। कुर्बानी के इस महत्वपूर्ण त्योहार को दुनियाभर के मुसलमान धूम-धाम से मनाते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार जुल-हिज्जा या धुल-हिज्जा की 10 तारीख को मनाया जाता है। इसकी घोषणा हर साल मक्का में इस्लामिक धर्म गुरु चांद देखकर करते हैं। इस साल ईद उल-अजहा तय हो गई है।
सऊदी अरब की सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ईद उल-अजहा की तारीख का ऐलान किया। मंगलवार को वहां धुल-हिज्जा का चांद नजर आया, जो इस्लामी कैलेंडर का दूसरा सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इसके बाद मक्का में इस्लामिक धर्म गुरुओं के ऐलान के बाद हज यात्रा शुरू करने और ईद-उल-अजहा का ऐलान किया गया। इसके मुताबिक हज यात्रा 4 जून से शुरू होगी, अराफा का दिन 5 जून को पड़ेगा और ईद-उल-अजहा 6 जून 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा।
सऊदी अरब की सुप्रीम कोर्ट के ऐलान के बाद वहां बकरीद 6 जून 2025 को मनाया जाएगा। इस हिसाब से भारत में ईद-उल-अजहा का त्योहार 7 जून को मनाया जा सकता है। दरअसल, भारत में बकरीद की तारीख स्थानीय चांद देखने पर तय होती है। और यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि भारत में धुल-हिज्जा का चांद किस तारीख को नजर आता है। हालांकि ज्यादातर सऊदी अरब में बकरीद मनाने के अगले दिन भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों में ये त्योहार मनाया जाता है।
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, जब हजरत इब्राहीम से अल्लाह ने उनकी सबसे प्यारी चीज़ को कुर्बान करने की मांग की। तब उन्होंने अपने बेटे को कुर्बान करने का दृढ़ निश्चय किया। जब वे अल्लाह के फरमान का पालन करने ही वाले थे, तब अल्लाह ने उन्हें रोक दिया और बेटे की जगह एक भेड़ की कुर्बानी स्वीकार की।
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तब से यह परंपरा चली आ रही है कि ईद-उल-अजहा पर जानवर की कुर्बानी दी जाती है, जो अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण और इंसानियत के लिए त्याग एवं बलिदान का प्रतीक बन गई है। इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा के आधार पर चलता है। जिसके चलते हर साल हज और ईद-उल-अजहा की तारीख बदलती रहती है।