भारत मालदीव विवाद (सौजन्य-पिनटरेस्ट)
नवभारत डेस्क: 2024 भारत के लिए एक महत्वपूर्ण साल रहा है। इसमें कई ऐसे किस्से और घटनाएं रही है, जिसने भारत और भारत के विदेशों से संबंधों में काफी गहरा असर डाला है। इनमें से एक किस्सा तो हमें साल की शुरुआत में जनवरी में ही देखने मिल गया था। जी हां, ये हम उस घटना की बात कर रहे है, जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक यात्रा ने पूरे देश को हिला के रख दिया था और बात बायकॉट करने तक की आ गई थी। चलिए आपको विस्तार से बताते है।
साल की शुरुआत में जनवरी 2024 में, भारत और मालदीव के बीच काफी अच्छे संबंध रहे है जो कि पारंपरिक रूप से मजबूत रहे हैं। लेकिन साल की शुरुआत में जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा किया और उसके बाद अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इससे संबंधित पोस्ट डाला था तब मालदीव ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया।
मालदीव के तीन कैबिनेट मंत्रियों ने नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे की आलोचना की और अपमानजनक टिप्पणियां की। मालदीव द्वारा किए गए इस अपमान के बाद भारत के सभी नागरिकों ने मालदीव के कैबिनेट मंत्रियों के साथ-साथ पूरे मालदीव की आलोचना की और शुरुआत हुई मालदीव बायकॉट की।
बता दें कि भारत से अक्सर लोग छुट्टियां मनाने के लिए मालदीव जाना पसंद करते है और खासकर बॉलीवुड सेलिब्रिटी। ऐसा कहा जा सकता है कि मालदीव की आर्थिक स्थिति एक तरह से पर्यटन पर निर्भर है और भारत से ही सबसे ज्यादा पर्यटक मालदीव घूमने जाते है। लेकिन इस घटना के बाद सभी सभी ने छुट्टियां मनाने का बहिष्कार करने का आह्वान किया था जो कि पूरे देश में तेजी से फैल गया।
जनवरी में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंद महासागर में भारत के एक केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप का दौरा किया और क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने और विकास को बढ़ावा देने के भारत सरकार के प्रयास के तहत अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लक्षद्वीप में एक द्वीप की तस्वीरें पोस्ट कीं। साथ ही उन्होंने भारतीयों को एक्सप्लोर करने के लिए प्रेरित किया था।
आपको बताते चले कि 7 जनवरी को, मालदीव के तीन मौजूदा उप-मंत्रियों- मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महज़ूम मजीद ने प्रधानमंत्री मोदी और भारतीयों के बारे में सोशल मीडिया पर अपमानजनक और नस्लवादी टिप्पणी की, जो उनके लक्षद्वीप दौरे को लेकर की गई थी। इन टिप्पणियों के बाद भारत में मालदीव पर तीखी टिप्पणियां होने लगी साथ ही मालदीव भारतीयों द्वारा और सेलिब्रिटीज द्वारा ट्रोल किया जाने लगा।
इसके तुरंत बाद राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू इस मुद्दे से खुद को दूर कर लिया और तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया। अप्रैल में निलंबित मंत्रियों में से एक मरियम शिउना ने भारतीय ध्वज के बारे में ट्विटर पर मज़ाक उड़ाया हुए एक पोस्ट किया था । पोस्ट पर हंगामा मचने के बाद उन्होंने माफ़ी मांगी।
मालदीव के मंत्रियों की टिप्पणी से भारत में व्यापक आक्रोश फैल गया, कई लोगों ने द्वीप देश में अपनी छुट्टियां रद्द कर दीं। सोशल मीडिया पर हैशटैग “#BoycottMaldives” ट्रेंड करने लगा। विपक्षी नेता और राजनीतिज्ञ शरद पवार ने कहा, “वह हमारे देश के प्रधानमंत्री हैं, और अगर किसी दूसरे देश का कोई भी व्यक्ति किसी भी पद पर बैठा हुआ हमारे प्रधानमंत्री के बारे में ऐसी टिप्पणी करता है, तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। हमें प्रधानमंत्री के पद का सम्मान करना चाहिए। हम देश के बाहर से प्रधानमंत्री के खिलाफ कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।”
इस मामले के बाद 2023 की तुलना में 2024 के पहले चार महीनों में मालदीव में भारतीय पर्यटकों की संख्या में 42% की गिरावट आई थी, जिससे मालदीव को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा। पर्यटकों के न होने से उन पर मालदीव को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा, जिसके बाद मालदीव ने भारत से माफी मांगी और मालदीव का बायकॉट न करने की गुजारिश की।
पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने कहा, “मालदीव के लोगों को खेद है; हमें खेद है कि ऐसा हुआ।” उन्होंने भारतीय पर्यटकों को अपनी छुट्टियों के दौरान यहां आने की इच्छा भी व्यक्त की और आश्वासन दिया कि इस घटना से देश के आतिथ्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने सरकार से भारत के साथ विवाद को सुलझाने का आग्रह किया।