सुप्रीम कोर्ट (फोटो - सोशल मीडिय)
नई दिल्ली: आज सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम पर लंबी सुनवाई हुई। इस अधिनियम के खिलाफ 70 से अधिक याचिकाओं पर बहस हुई, जिसमें कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वरिष्ठ वकीलों ने अपनी दलीलें पेश की। वहीं, केंद्र सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा। इस दौरान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने तुषार मेहता से एक तीखा सवाल पूछा।
कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने वक्फ बोर्ड में हिंदुओं की भागीदारी पर सवाल उठाए, तो चीफ जस्टिस ने तुषार मेहता से यह पूछा, “क्या आप यह कह सकते हैं कि अब से हिंदू संस्थाओं में मुस्लिमों को भी शामिल किया जाएगा और वे उनका हिस्सा बन सकते हैं?”
चीफ जस्टिस ने वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों में कलेक्टर को निर्णय लेने का अधिकार देने पर सवाल उठाए। उन्होंने यह पूछा कि वक्फ संपत्तियों पर फैसला अदालत क्यों नहीं कर सकती। इस पर तुषार मेहता ने जवाब दिया कि वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन का अधिकार कलेक्टर को दिया गया है। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्ति का रजिस्ट्रेशन हमेशा से अनिवार्य रहा है, और यह प्रक्रिया वक्फ बाई यूजर के तहत भी होती है। उनका कहना था कि 1995 के कानून में भी यही प्रावधान था।
तुषार मेहता ने यह भी कहा कि कपिल सिब्बल का यह कहना कि नया कानून मुतवल्ली को जेल भेजने वाला है, सही नहीं है, क्योंकि ऐसा केवल तभी होगा जब वक्फ संपत्ति का रजिस्ट्रेशन न हुआ हो।
सरकार ने सुनवाई के दौरान यह तर्क प्रस्तुत किया कि मुस्लिम समुदाय को वक्फ ऐक्ट के तहत निर्णय लेने में कोई रुचि नहीं है। इसलिए नए ऐक्ट में यह छूट दी गई है कि वे चाहें तो अपना ट्रस्ट भी बना सकते हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि इस ऐक्ट में कुछ सकारात्मक पहलू हैं, लेकिन कुछ चिंताजनक बिंदु भी हैं। कपिल सिब्बल ने यह दलील दी थी कि वक्फ बोर्ड में अब 22 में से केवल 10 मुस्लिम सदस्य होंगे, जो आर्टिकल 26 के तहत स्वायत्तता के अधिकार का उल्लंघन करेगा।
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जब बहस आगे बढ़ी, तो चीफ जस्टिस ने तुषार मेहता से यह सवाल किया कि क्या हिंदू संस्थाओं में मुस्लिमों को प्रवेश मिलेगा। इसके बाद अदालत ने कहा कि वह इन याचिकाओं को सुनने के लिए एक उच्च न्यायालय को नियुक्त करेगा। उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद ही इस मामले पर विचार किया जाएगा।
मुस्लिम पक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में दलील दी कि यदि यह प्रक्रिया ऐसे ही चली तो देशभर में मौजूद 8 लाख वक्फ संपत्तियों में से लगभग 4 लाख संपत्तियाँ प्रभावित हो सकती हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने हस्तक्षेप करते हुए टिप्पणी की कि उन्हें जानकारी दी गई है कि दिल्ली हाई कोर्ट खुद वक्फ भूमि पर स्थित है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे यह नहीं कह रहे कि सभी वक्फ ‘बाय यूजर’ मामलों में गड़बड़ी है, लेकिन कुछ मामले वास्तव में चिंता का विषय हैं।