कौन हैं शांतनु नायडू जो रहे रतन टाटा के बेस्ट फ्रेंड
मुंबई: जहां एक तरफ उद्योगपति रतन टाटा के निधन से भारत में शोक की लहर दौड़ गई। वहीं भारतीय उद्योगपतियों ने उनके निधन को टाटा समूह से परे सभी भारतीयों के लिए एक बड़ी क्षति बताया है। टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने बुधवार रात करीब साढ़े 11 बजे मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 86 वर्ष के थे।
देखा जाए तो उनके साथ जुड़े लोगों और प्रशंसकों के लिए यह एक बड़ी क्षति है। लेकिन उनके सबसे करीबी, खास सहायक और मित्र शांतनु नायडू के लिए यह क्षति बहुत ही बड़ी है, जिन्हें रतन टाटा ने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में अपने बेहद करीब रखा था। शांतनु हमेशा से ही रतन टाटा के खास असिस्टेन्ट के तौर पर साए की तरह उनके साथ रहे।
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28 वर्षीय इस युवा का रतन टाटा से कोई भी पारिवारिक संबंध नहीं है। लेकिन इस युवा शख्स का रतन टाटा से हमेशा से ही खास जुड़ाव रहा है। मुंबई के रहने वाले शांतनु वहीं खुशनसीब युवा हैं, जिनसे प्रभावित होकर रतन टाटा ने कभी खुद फोन करके कहा था कि आप जो करते हैं मैं उससे बहुत प्रभावित हूं। क्या मेरे असिस्टेंट बनोगे। आज यही शांतनु नायडू, रतन टाटा के मृत्यु रथ के आगे मायुस चलते हुए देखे गए।
Shantanu Naidu, a trusted assistant to Ratan Tata, expressed his sorrow over the loss of the national icon in a post shared early this morning. Ratan Tata, the chairman emeritus of Tata Sons, one of India’s largest conglomerates, passed away late Wednesday night at the age of 86… pic.twitter.com/CQv7h4992n — Pune Pulse (@pulse_pune) October 10, 2024
शांतनु नायडू के बारे में बात करें तो, जानकारी के अनुसार उनका जन्म 1993 में पुणे महाराष्ट्र में हुआ था। वह एक प्रसिद्ध भारतीय व्यवसायी, इंजीनियर, जूनियर असिस्टेंट, डीजीएम, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, लेखक और उद्यमी भी माने जाते हैं। शांतनु टाटा ट्रस्ट के उप महाप्रबंधक के रूप में भी कार्यरत हैं।
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रतन टाटा के साथ शांतनु नायडू की यह अद्भुत दोस्ती जानवरों के प्रति उनके साझा प्रेम के कारण ही पनपी थी। इन दोनों की मुलाकात साल 2014 में हुई थी, जब शांतनु ने आवारा कुत्तों को रात में कारों की चपेट में आने से बचाने के लिए एक खास रिफ्लेक्टिव कॉलर बनाए थे। उनकी इस छोटी मगर खास पहल से प्रभावित होकर, टाटा संस के मानद अध्यक्ष रतन टाटा ने शांतनु को अपने साथ काम करने के लिए आमंत्रित किया। बस इस तरह बीते 10 सालों में शांतनु, रतन टाटा के सबसे करीबी और भरोसेमंद दोस्त बन गए। अपने अंतिम कुछ सालों में रतन टाटा अक्सर शांतनु के साथ उनकी कुछ खास सार्वजनिक उपस्थितियों में जरुर शामिल होते थे।
आज जब रतन टाटा इस दुनिया से विदा हुए, तो शांतनु नायडू ने लिखा, “मैं अपनी बाकी की जिंदगी इस दोस्ती के कारण मेरे अंदर पैदा हुए खालीपन को भरने में ही बिताऊंगा। प्यार की कीमत दुख है, फिलहाल अलविदा, मेरे प्यारे लाइटहाउस।”