मुंबई : भारत में कई बड़े उद्योगपति हैं, जिन्हें दुनिया भर में लोग अपने बिजनेस के कारण जानते हैं। लेकिन इन सब में रतन टाटा एक ऐसे उद्योगपति थे, जो अपनी एक अलग पहचान रखते थे। टाटा सिर्फ नाम से नहीं अपने काम से भी रतन थे। वे अपनी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों को लेकर हमेशा नरम और संवेदनशील होते थे।
कई मौको पर रतन टाटा की अपने कर्मचारियों के साथ तस्वीर भी देखी गई है, जिसमें रतन टाटा अपने कर्मचारियों के बीच घुटनों पर बैठे भी नजर आए हैं। यह एक ऐसा अद्भुत नजारा था, जो शायद ही किसी कंपनी के बॉस ने कर के दिखाया हो। रतन टाटा अपनी कंपनी के कर्मचारियों को ही अपनी पूंजी मानते थे और उनके लिए हर सुख-सुविधा की चिंता करते थे। भारत में सरकारी नौकरियों को बड़ी तरजीह दी जाती है, ऐसे में रतन टाटा ने अपनी प्राइवेट कंपनियों में भी सरकारी नौकरियों की तरह सुविधा देकर एक मिसाल कायम की थी।
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अपनी कंपनी के कर्मचारियों को त्यौहारों पर तोहफे देने के लिए वह हमेशा चर्चाओं में रहते थे, एक ऐसे बॉस जिन्होंने कभी किसी कर्मचारी को छोटा नहीं समझा। वह खुद को भी टाटा समूह का एक साधारण सदस्य मानकर ही सबके साथ काम करते थे। रतन टाटा की यही सब बातें हैं जो उन्हें और लोगों से अलग बनाती थी। उद्योग जगत में आने वाली कई पुश्तों तक रतन टाटा को अपने कामों के लिए याद रखा जाएगा।
रतन टाटा केवल अपने कर्मचारियों के लिए ही नहीं बल्कि देश के लिए भी सबसे पहले खड़े होते थे, देश में आपदा का समय हो या कोरोना जैसी महामारी, समाज सेवा के लिए सबसे पहले टाटा समूह ने हाथ बढ़ाया। ऑक्सीजन से लेकर वेंटिलेटर तक की व्यवस्था टाटा समूह ने की। देशभर में कई अस्पताल टाटा समूह द्वारा चलाए जाते हैं, जिनका उद्देश्य लाभ कमाना ना होकर लोगों की सेवा करना माना जाता है। एक राष्ट्रभक्त की तरह रतन टाटा ने अपने देश के लिए हमेशा काम किया उन्होंने देश के लिए जरूरी सेवाओं को महत्व दिया और समर्पण भाव से उनकी कंपनियों ने सेवाएं भी दी।