राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह का परिवार (सोर्स-सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: भारत में शहीदों को काफी सम्मान दिया जाता है। उनके गुजरने के बाद भी सरकार उनके परिवार का ध्यान रखती है। हालांकि इन दिनों सियाचीन में शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के परिवार के बीच चल रहे तनाव की वजह से कई सवाल उठने लगे हैं। शहीद के माता-पिता का कहना है कि उनकी बहू उनका ख्याल नहीं रखती है। वो अपने माइके में रहती हैं।
साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिली। सबकुछ उनकी बहू को मिला है। जिसकी वजह से उन्होंने NOK (नेक्स्ट ऑफ किन यानी निकटतम परिजन) के नियमों में बदलाव करने की भी मांग की है। इस ख़बर की वजह से कई लोगों के बीच ये सवाल उठना शरू हो गया है कि किसी सैनिक के शहीद होने के बाद सारी आर्थिक मदद उनके माता-पिता को या उनकी पत्नी-बच्चों को दी जाती है?
नियम के मुताबिक सेना में भर्ती होते हीं हर सैनिक को डिटेल फॉर्म भरना होता है। जिसे आफ्टर मी फोल्डर कहा जाता है। इस फोल्डर में NOK की जानकारी होती है। उसमें डिटेल्स भरा जाता है कि अगर देश की सेवा के दौरान किसी भी सैनिक की मौत हो जाती है तो उनके ना रहने पर किसी पेंशन और बाकी सारी सुविधाएं दी जानी है।
भारत सरकार द्वारा तीन तरह की फैमिली पेंशन दी जाती है। जिसमें सबसे पहला ओर्डिनरी फैमिली पेंशन है। जिसमें किसी भी सैनिक के बीमारी या सामान्य स्थिति में मृत्यु के बाद उसके परिवार को दी जाती है। इसमें आखिरी सैलरी का 30% परिवार को दिया जाता है।
दूसरी स्पेशल फैमिली पेशन होता है। जिसमें ड्यूटी के दौरान किसी भी सैनिक के मौत के बाद सके परिवार को दिया जाता है। इस पेंशन में आखिरी सैलरी का 60% सैनिक के परिवार को दिया जाता है।
इसके बाद लिबरलाइज्ड फैमिली पेंशन आता है। जो कि बैटल में कैज्वल्टी होने पर मिलती है। यह सैलरी का 100% होता है। पेंशन के हकदार NOK ही होते हैं। अगर सैनिक को कोई गैलेंट्री अवॉर्ड मिलता है तो वह भी NOK को ही जाता है। इसकी राशि भी संग NOK के पास ही जाती है।
सैनिक द्वारा किए गए इंश्योरेंस और PPF पर पत्नी हकदार होती है। वहीं जो ग्रेच्युटी होती है उसके लिए सैनिक जिसे चाहें उसे नॉमिनी बना सकते हैं। उन्हें अपनी विल लिखनी होती है जिसकी पूरी डिटेल सेना के पास होती है। सैनिक ने जिसे नॉमिनी बनाया है और जितने प्रतिशत का बनाया है उसे ही यह दी जाएगी। हालांकि सैनिक के पैरंटस को मेडिकल फैसिलिटी मिलती रहती है।
वहीं अगर पत्नी दूसरी शादी कर ले तो उसके तूरंत बाद ऑर्डिनरी फैमिली पेंशन बंद हो जाएगी। अगर स्पेशल फैमिली पेंशन मिल रही है तो वो मिलती रहेगी। अगर पत्नी चच्चों को छोड़ देती है तो पेंशन का 30% पत्नी और 30% चच्चों को दिया जाएगा। अगर लिबरलाइज्ड फैमिली पेशन मिल रही है और दूसरी शादी करने पर भी वह जारी रहेगी। अगर बच्चों को छोड़ती हैं तो जो सैलरी का 100% पेंशन मिल रही थी उसका 30% पत्नी को और 70% बच्चों को मिलेगा।