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नवभारत डिजिटल डेस्क : वक्फ बिल, पहलगाम हमला और अब जातिगत जनगणना स्पॉटलाइट बना हुआ है। बता दें, मोदी सरकार ने जाति वली जनगणना पर स्वीकृति की मुहर लगा दी है। यह जाति जनगणना मूल जनगणना में ही शामिल होगी।
ऐसे में आज के इस आर्टिकल में जानेंगे कि आजादी से पहले जातिगत जनगणना कब हुई थी और आखिरी बार जाती वाली जनगणना कब की गई। इसके साथ ही यह भी जानेंगे कि जातिगत जनगणना में किस कास्ट के लोग सबसे ज्यादा थे। इसके लिए पढ़ते जाइए इस आर्टिकल को अंत तक।
आजादी से पहले वर्ष 1931 में जातिगत जनगणना हुई थी। ध्यान देने वाली बात यह है कि विपक्षी दलों की ओर से जातिगत जनगणना की जोरदार मांग की जा रही थी। साल1931 में 4 हजार147 जातियों की पहचान हुई थी।
इसके बाद साल 2011 में एक बार फिर सामाजिक-आर्थिक जातीय जनगणना यानी SECC कराई गई, जिसमें कुल 46 लाख जातियों का जिक्र किया गया था, लेकिन इन आंकड़ों को आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया।
देश में जनगणना की शुरूआत कोई नई बात नहीं है, यह तो अंग्रेजी हुकूमत के दौरान से चली आ रही है। पहली बार जनगणना अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ही हुई थी और ये जनगणना 1872 में की गई थी। इसके बाद से ही प्रत्येक 10 साल में जनगणना होता चला आया है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि ये जनगणना का क्रम पहली बार कोरोना काल में टूट गया था। ऐसे में अब 2025 में जनगणना कराने की तैयारी है। सरकार का दावा है कि इस बार जातिगत जनगणना कराई जाएगी।
जाति जनगणना (सांकेतिक तस्वीर)
सबसे पहले 1901 में जातिगत जनणना में 1 हजार 646 जातियों की पहचान हुई थी। 1931 में इन जातियों की संख्या बढ़कर 4 हजार 147 हो गई थी। बाद में इन्हीं आंकड़ों को मंडल कमीशन की रिपोर्ट का आधार बनाने का काम किया गया।
देश की कुल जनसंख्या का 52 प्रतिशत हिस्सा OBC यानी अन्य पिछड़ा वर्ग था। इसमें हिंदू OBC 44 प्रतिशत थे। वहीं गैर हिंदू ओबीसी करें, तो वे 8 प्रतिशत थे। SC और ST की बात करें, तो इनकी संख्या 22.5 प्रतिशत थी। सामान्य वर्ग की बात करें तो ये 17.5 प्रतिशत रहा था। गैर-हिंदू आबादी 16% था, जिसमें लगभग 8% OBC शामिल हैं। ये जनकारी मंडल कमीशन के डेटा से हैं. चूंकि 1931 के बाद जाति गणना नहीं हुई थी। इसी वजह से मंडल कमीशन ने 1931 की गणना को ही बेस बनाया था।
आजादी से पहले की 1931 में हुई आखिरी जातीगत जनगणना में बिहार, झारखंड औरस ओडिशा एक रियासत थी। उस समय यहां कुल 97 जातियों की संख्या सामने आई थी। इंटरनेट पर पब्लिश रिपोर्ट के अनुसार बिहार, झारखंड और ओडिशा की कुल आबादी 3 करोड़, 47 लाख 92 हजार 764 थी। उस वक्त इस रियासत में 97 जातियां पाईं जाती थीं। इसमें से 14 जातियां ओडिशा की थी और बाकी के बचे 83 जातियां बिहार और झारखंड की थीं। तब झारखंड बिहार से अलग नहीं हुआ था।
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