सोनम रघुवंशी (सौ. सोशल मीडिया)
Indore High Court’s Decision: मध्यप्रदेश के इंदौर में दशहरे पर राजा रघुवंशी हत्याकांड की मुख्य आरोपी सोनम रघुवंशी सहित 11 कातिल महिलाओं का पुतला दहन करने कि तैयारी की जा रही थी। इससे पहले ही मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शूर्पणखा के पुतला दहन पर रोक लगा दी है। दरअसल पौरुष नाम की संस्था ने सोनम रघुवंशी के साथ 11 ऐसी महिलाओं के पुतले जलाने का ऐलान किया था, जिन्होंने पति, बच्चे और परिवार की हत्या या हत्या की साजिश में आरोपी है।
विजयादशमी पर आयोजित होने वाला ‘शूर्पणखा दहन’ कार्यक्रम को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। कार्यक्रम पर ऐतराज जताते हुए सोनम की मां संगीता रघुवंशी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए शनिवार को इंदौर हाई कोर्ट ने इस कार्यक्रम पर रोक लगा दी है।
2 अक्टूबर को दशहरे के मौके पर ‘शुर्पणखा पुतला दहन’ का आयोजन होने वाला था। इस कार्यक्रम की जानकारी मिलने के बाद सोनम की मां संगीता रघुवंशी ने इंदौर हाईकोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि, जिन भी महिलाओं के पुतले जलाए जा रहे हैं, अभी तक उनपर सिर्फ आरोप है, दोष सिद्ध नहीं हुआ है। इसके साथ ही वे महिलाएं किसी की बहन और किसी की बेटी है।
ऐसे में उनका सार्वजनिक अपमान करने का अधिकार किसी को नहीं मिलना चाहिए। इस मामले में इंदौर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए पुतला दहन कार्यक्रम पर रोक लगा दी। जस्टिस प्रणव वर्मा ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है। कोर्ट का कहना है कि, इस तरह का आयोजन व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर गलत संदेश दे सकता है।
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बता दें कि, कार्यक्रम के आयोजक समूह ‘पौरुष’ ने 11 महिलाओं की तस्वीरों वाले पोस्टर जारी किए थे, जिनमें इंदौर की सोनम रघुवंशी और मेरठ की मुस्कान भी शामिल हैं। इन महिलाओं पर अपने पतियों की, बच्चे और परिवार की हत्या या हत्या की साजिश का आरोपी है। कार्यक्रम के आयोजक का कहना है कि बुराई केवल पौराणिक पात्रों में ही नहीं, बल्कि समाज में भी कई रूपों में मौजूद है। आयोजकों का कहना था कि, रामायण की कथा में शूर्पणखा छल और कुटिलता का रूप मानी जाती है। उसी तरह पति की हत्या करने वाली महिलाएं भी वैसा ही अपराध और धोखे की मिसाल हैं। इसलिए इस दशहरा पर्व पर इन्हें शूर्पणखा की संज्ञा दी थी और जिन्हें ‘मॉडर्न कलयुगी शूर्पणखा’ बताया गया था।