
सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को लगातार तीसरे दिन सुनवाई की। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर उस तर्क पर ऐतराज जताया, जिसमें उसने कहा था कि ट्राइबल एरिया में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग इस्लाम का पालन वैसे नहीं कर पाते जैसे बाकी मुसलमान करते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि इस्लाम तो इस्लाम ही रहेगा।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ के सामने सरकार का पक्ष रखा। इस दौरान एसजी तुषार मेहता ने कहा कि नए कानून के तहत अनुसूचित जनजाति वर्ग के मुस्लिम समुदाय के लोगों की जमीनों को संरक्षण देना सही है। उन्होंने कहा कि ट्राइबल एरिया में रहने वाले अनुसूचित वर्ग के लोगों को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है, जो वैध कारणों से उन्हें मिला है।
तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि, ‘वक्फ का मतलब होता है खुदा के लिए स्थाई समर्पण। मान लीजिए मैंने अपनी जमीन बेची और पाया गया कि अनुसूचित जनजाति के शख्स के साथ धोखा हुआ है तो इस मामले में जमीन वापस की जा सकती है, लेकिन वक्फ में ऐसा नहीं है। मेहता ने बताया कि जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी का कहना है कि इन ट्राइबल एरिया में रहने वाले मुस्लिम देश के बाकी हिस्सों में रह रहे मुसलमानों की तरह इस्लाम का पालन नहीं करते हैं, उनकी अपनी सांस्कृतिक पहचान है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुसूचित जनजाति वर्ग के मुस्लिमों पर दिए तर्क पर सुप्रीम कोर्ट ने एतराज जताया। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह ने कहा कि इस्लाम तो इस्लाम रहेगा। कोई कहीं भी रहे धर्म एक ही है। अलग-अलग हिस्सों में रहने वालों की सांस्कृतिक प्रथाओं में अंतर हो सकता है।
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बता दें कि मंगलवार से नए सीजेआई बी आर गवई की बेंच ने वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने के लिए दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। इससे पहले पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना इस मामले को देख रहे थे, लेकिन रिटायरमेंट से पहले उन्होंने मामला जस्टिस बी आर गवई की बेंच को ट्रांसफर कर दिया था।






