इवान डिसूजा (सोर्स:-सोशल मीडिया)
बेंगलुरु: कर्टनाक में राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच छिड़े विवाद में मामला और गर्म होता हुआ नजर आ रहा है, जहां राज्यपाल थावरचंद गहलोत के द्वारा कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया के खिलाफ मुकदमे के आदेश को मंजूरी देने के बाद प्रदेशभर कांग्रेस नेता जमकर राज्यपाल के आदेश का विरोध कर रहे है।
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के खिलाफ कांग्रेस नेताओं का प्रदर्शन इतना तेज हो गया है कि एक कांग्रेस नेता ने तो राज्यपाल गहलोत को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर राज्यपाल अपना आदेश वापस नहीं लेते हैं तो उन्हें शेख हसीना की तरह, कर्नाटक से भागना पड़ेगा।
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस नेता और कांग्रेस एमएलएसी इवान डिसूजा ने बातों बातों में एक विवादित बयान दे दिया, जहां उन्होंने बांग्लादेश का हवाला देते हुए कहा कि पीएम शेख हसीना को अपना पद और देश छोड़ना पड़ा। अगली बार विरोध प्रदर्शन के लिए सीधे गवर्नर ऑफिस जाएंगे। ठीक वैसे ही जैसे बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी पीएम हाउस में प्रवेश कर गए और पीएम को अपना घर, पद और देश छोड़ना पड़ गया।
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इसके साथ ही कांग्रेस एमएलसी ने कहा कि अगर राज्यपाल ने अपना आदेश वापस नहीं लिया या राष्ट्रपति ने उन्हें वापस लेने के लिए नहीं कहा, तो बांग्लादेश जैसा ही हश्र होगा जहां प्रधानमंत्री को देश छोड़कर भागना पड़ा, और यहां कर्नाटक में राज्यपाल को भागना पड़ेगा और ये कि अगला विरोध राज्यपाल कार्यालय चलो है।
जानकारी के लिए बता दें कि बीते दिनों मुकदमे को मंजूरी देते हुए राज्यपाल ने कहा था कि कि मैं मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत याचिकाओं में उल्लिखित कथित अपराधों के लिए में अभियोजन की मंजूरी देता हूं।
इसके साथ ही अधिवक्ता- सामाजिक कार्यकर्ता टी जे अब्राहम द्वारा दायर याचिका के आधार पर राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 26 जुलाई को एक ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया था, जिसमें मुख्यमंत्री को निर्देश दिया गया था कि वह सात दिनों के भीतर उनके खिलाफ आरोपों पर जवाब प्रस्तुत करें कि उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति क्यों न दी जाए।
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मिली जानकारी के अनुसार कर्नाटक सरकार ने एक अगस्त को राज्यपाल को मुख्यमंत्री को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस’ को वापस लेने की सलाह दी थी और राज्यपाल पर संवैधानिक कार्यालय के घोर दुरुपयोग का आरोप लगाया था। साथ ही याचिकाकर्ता अब्राहम के अनुरोध के अनुसार पूर्व अनुमोदन और मंजूरी से इनकार करते हुए उक्त आवेदन को खारिज करने की भी सलाह दी थी।