राहुल गांधी, शशि थरूर
नई दिल्ली: सांसद शशि थरूर कांग्रेस पार्टी के लिए गले की फांस बन चुके हैं। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मानते हैं कि थरूर को अब बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए। केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद दुनियाभर में भेजे जाने वाले एक बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व शशि थरूर को सौंपा है। कांग्रेस की आपत्ति के बाद भी शशि थरूर ने सरकार के इस प्रस्ताव को स्वीकार लिया है। अब कांग्रेस पार्टी ने भी इस बात को स्वीकार कर लिया है कि थरूर इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। लेकिन पार्टी के अंदर इस बात को लेकर सब कुछ ठीक नहीं है।
कई प्रभावशाली नेताओं का मानना है कि थरूर को पार्टी से निकाल देना चाहिए। इन नेताओं का कहना है कि थरूर कई बार ऐसे फैसले लेते हैं जो बीजेपी के हित में दिखते हैं। अगर वो पार्टी में बने रहते हैं तो 2026 में होने वाले केरल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है।
कांग्रेस के कुछ नेताओं का ये भी मानना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद जैसे नेताओं के पार्टी छोड़ने से हुए नुकसान से सबक लेते हुए शशि थरूर को अब बाहर का रास्ता दिखाना बेहतर होगा जिससे वे अचानक कोई बड़ा झटका न दे सकें। इन नेताओं का मानना है कि थरूर को अपने शब्दों और फैसलों में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी। खासकर, प्रतिनिधिमंडल मामले में शामिल होने से पहले उनको पार्टी से सलाह लेनी चाहिए थी।
कांग्रेस के सामने अब एक दुविधा है। अगर पार्टी शशि थरूर के खिलाफ कोई कार्रवाई करती है या उनको नोटिस जारी करती है तो भाजपा को कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिलेगा। साथ ही ऐसा करने से पार्टी का रुख भी कमजोर होगा, जिसमें उसने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद केंद्र सरकार का पूरी तरह समर्थन किया है।
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खबरों के अनुसार, थरूर को नोटिस देने पर कभी भी फैसला हो सकता है। पार्टी उनकी हर एक गतिविधि पर कड़ी नजर रख रही है और ये देख रही है कि उनका अगला कदम क्या होगा।