नयी दिल्ली. आज बढ़ती महंगाई और पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) से लेकर हर कोई बुरी तरह से परेशान है। इसके चलते जहाँ विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है, वहीं केंद्र सरकार फिलहाल इस मुद्दे पर पूरी तरह लाचार है। लेकिन अब जनता के खुश होने का वक़्त आ गया है क्योंकि देश के अर्थशास्त्रियों अब एक फॉर्मूला तैयार किया है। गौरतलब है कि फिलहाल दिल्ली में एक लीटर डीजल की कीमत 81.47 रुपये और एक लीटर पेट्रोल की कीमत 91.17 रुपये चल रही है।
अब अगर इन अर्थशास्त्रियों की माने तो देश में पेट्रोल 75 रुपये प्रति लीटर में भी मुनासिब हो सकता है, इस मुद्दे पर SBI के अर्थशास्त्रियों ने अपनी एक व्यापक रिपोर्ट (Report) जारी की है। वहीं SBI की रिसर्च टीम ने पेट्रोल और डीजल को अब गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) के दायरे में लाने का एक बेहतरीन सुझाव दिया है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इसके लिए जबरदस्त राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत होगी।
अब अगर मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों को GST के दायरे में ले आती है, तो फिर पेट्रोल का भाव घटकर 75 रुपये लीटर, और डीजल 68 रुपये लीटर पर आ सकता है। यानी दिल्ली में आज यानी 4 मार्च के मौजूदा भाव से पेट्रोल करीब 16 रुपये लीटर, और डीजल करीब 13 रुपये 47 पैसे प्रति लीटर सस्ता हो सकता है।
वहीं SBI की ईकोरैप रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाया गया तो इससे केंद्र और राज्य सरकारों की कमाई में सिर्फ 1 लाख करोड़ रुपये की ही गिरावट आएगी, जो कि GDP का सिर्फ 0.4% है। SBI की इस रिपोर्ट को SBI की ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ सौम्या कांति घोष ने तैयार किया है।
गौरतलब है कि पेट्रोल-डीजल केंद्र और राज्यों के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत होता है, जिसकी वजह से दोनों सरकारें इसे GST के दायरे में लाने में आगे पीछे हो रही हैं। लेकिन SBI के इन अर्थशास्त्रियों ने जो आंकड़ा दिया है, उससे सरकार को बहुत ज्यादा नुकसान तो नहीं होने वाला है। अगर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर GST लागू होता है तो पेट्रोल 75 रुपये प्रति लीटर और डीजल 68 रुपये प्रति लीटर मिलने लगेगा। इस अहम् कदम से केंद्र और राज्यों को राजस्व में बजट करीब 1 लाख करोड़ रुपये की ही कमी आएगी।
इस पर अर्थशास्त्रियों ने 60 डॉलर प्रति बैरल कच्चा तेल और 73 रुपये प्रति डॉलर के एक्सचेंज रेट को आधार मानकर एक आर्थिक रिपोर्ट बनायी है। अब एक बैरल में कुल 159 लीटर कच्चा तेल होता है। वहीं रिपोर्ट में ट्रांसपोर्टेशन कोस्ट, जहाँ डीजल पर 7।25 रुपये, तो वहीं पेट्रोल पर 3।82 रुपये जोड़ा गया है। उसके बाद डीलर कमीशन को देखें तो डीजल पर 2।53 रुपये लीटर तो वहीं पेट्रोल पर 3।67 रुपये लीटर रखा गया है।
इसके साथ ही SBI की इस रिपोर्ट में सेस जहाँ डीजल पर 20 रुपये तो पेट्रोल पर 30 रुपये लीटर रखने का सुझाव दिया गया है। अब इसमें केंद्र और राज्यों को बराबर हिस्सेदारी मिलेगी, यानी सेस के पैसे दोनों में ही बराबर बाटेंगे। उसके बाद पेट्रोल और डीजल पर GST रेट 28 फीसदी होगा। इससे जो GST की रकम होगी वह 14%केंद्र के खाते में जाएगी, और बाकी 14% राज्य को मिलेगा।
बता दें कि अभी हर राज्य पेट्रोल-डीजल पर अपने हिसाब से अलग अलग वैट वसूलता है, जबकि केंद्र सरकार ड्यूटी और सेस से भी कमाई करती है। वहीं अब SBI की रिसर्च टीम ने अनुमान लगाया है कि अगले वित्त वर्ष में सालाना आधार पर पेट्रोल की खपत 10 फीसदी और डीजल की खपत 15 फीसदी की दर से बढ़ भी सकती है।
लेकिन इसी GST के दायरे में पेट्रोल-डीजल को लाने से कुछ राज्यों को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसमें राजस्व का सबसे अधिक नुकसान महाराष्ट्र को हो सकता है। SBI ईकोरैप के मुताबिक महाराष्ट्र को करीब अकेला 10,424 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। जबकि राजस्थान को 6388 करोड़ और मध्य प्रदेश के रेवेन्यू में 5489 करोड़ रुपये की कमी आ सकती है। वहीं उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम बंगाल के राजस्व में बढ़ोतरी भी हो सकती है।
वहीं SBI ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर अनुमान भाव से प्रति बैरल क्रूड ऑयल की कीमत में 10 डॉलर की कटौती भी होती है तो केंद्र और राज्यों के राजस्व में 18 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हो जाएगी, लेकिन यह तभी होगा जब पेट्रोल 75 रुपये और डीजल 68 रुपये लीटर ही बिकेगा। लेकिन वहीं अगर अनुमान भाव से क्रूड ऑयल 10 डॉलर प्रति बैरल महंगा हो जाता है तो सरकार के राजस्व में सिर्फ 9 हजार करोड़ रुपये की ही बढ़ोतरी होगी। फिलहाल देखना है कि केंद्र और राज्य सरकारें SBI कि इस जरुरी रिपोर्ट को कितनी तरजीह देती हैं।