सुप्रिया सुले, रवि किशन (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: लोकतांत्रिक व्यवस्था में सक्रिय और श्रेष्ठ योगदान देने वाले सांसदों को संसद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इस साल ये पुरस्कार रवि किशन, सुप्रिया सुले, निशिकांत दुबे जैसे सांसदों के अलावा 17 और सांसदों को दिया जाएगा।
प्राइम पॉइंट फाउंडेशन की ओर से दिया जाने वाला यह पुरस्कार उन सांसदों को दिया जाता है जो संसद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसकी चयन प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी मानी जाती है। विजेताओं का चयन एक जूरी के सदस्य संसद में उनके किए गए कार्यों के आधार पर करतेहैं, जिसकी अध्यक्षता इस बार राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने की।
साल 2025 में कुल 17 सांसदों को संसद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इनमें भर्तृहरि महताब, सुप्रिया सुले, एन के प्रेमचंद्रन और श्रीरंग अप्पा बारणे को संसदीय लोकतंत्र में उत्कृष्ट और निरंतर योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा।
दूसरे चुने गए सांसदों में भाजपा के रवि किशन, स्मिता वाघ, मेधा कुलकर्णी, प्रवीण पटेल, निशिकांत दुबे, विद्युत बरन महतो, पी पी चौधरी, मदन राठौर और दिलीप सैकिया शामिल हैं। इसके अलावा शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत और नरेश म्हस्के, कांग्रेस की वर्षा गायकवाड़ तथा डीएमके के सी एन अन्नादुरई को भी संसद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
संसद रत्न पुरस्कार उन सांसदों को दिया जाता है, जो संसद में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं और जनता के मुद्दों को मजबूती से उठाते हैं। संसद रत्न पुरस्कार की शुरुआत 2010 में प्राइम पॉइंट फाउंडेशन ने की थी। इसका मकसद उन जनप्रतिनिधियों को सम्मानित करना है जो संसद की कार्यवाही में लगातार और सकारात्मक भागीदारी निभाते हैं।
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सांसदों का चयन पारदर्शी प्रक्रिया से किया जाता है। एक जूरी संसद में पूछे गए सवालों, बहसों में भागीदारी, प्राइवेट मेंबर बिल और समिति कार्य जैसे मानकों के आधार पर सांसदों का मूल्यांकन करती है। हर साल लोकसभा और राज्यसभा के उन सांसदों को यह सम्मान दिया जाता है, जिन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने में खास योगदान दिया हो।