लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी व केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद प्रधान (फोटो- सोशल मीडिया)
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग को भाजपा का विंग बताने पर सियासी तूफान खड़ा हो गया है। ओडिशा में आयोजित ‘संविधान बचाओ सम्मेलन’ के मंच से राहुल गांधी ने ईसीआई की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए, जिसे केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सिरे से खारिज कर दिया। प्रधान ने राहुल पर तंज कसते हुए कहा कि उनकी हालत अब उस कहावत जैसी हो गई है-‘नाच न जाने आंगन टेढ़ा’। साथ ही कांग्रेस को चुनावी हार का दोष लोकतांत्रिक संस्थाओं पर मढ़ने का आरोप भी लगाया।
राहुल गांधी ने भुवनेश्वर में आयोजित कांग्रेस सम्मेलन में आरोप लगाया कि बिहार में महाराष्ट्र जैसी चुनाव चोरी की कोशिश चल रही है और चुनाव आयोग अब भाजपा का उपकरण बन चुका है। इस पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कांग्रेस की रैली को ‘राजनीतिक पर्यटन’ बताया और कहा कि संविधान की बात करने वालों को पहले अपनी भूमिका आपातकाल में याद करनी चाहिए। प्रधान ने दावा किया कि कांग्रेस का असली मकसद संविधान नहीं, बल्कि खुद को बचाना है।
राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जी द्वारा भुवनेश्वर, ओडिशा में आयोजित संविधान बचाओ रैली दरअसल कांग्रेस के शहज़ादे का एक और राजनीतिक पर्यटन था। यह ‘संविधान बचाओ’ नहीं बल्कि ‘ राहुल गांधी और कांग्रेस बचाओ’ समावेश है। ओडिशा में भाजपा की जनहितैषी सरकार के प्रति…
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) July 11, 2025
राहुल को हार में आती है लोकतंत्र की याद
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोशल मीडिया पोस्ट में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा आयोजित रैली को दिखावा करार दिया। उन्होंने लिखा, “कांग्रेस का यह नया नाटक सिर्फ जनता को गुमराह करने की कोशिश है। एक पार्टी जिसने कभी लोकतंत्र और संविधान को कुचला, वही अब उसे बचाने की बात कर रही है।” प्रधान ने कांग्रेस पर ओडिशा के गरीबों, दलितों और आदिवासियों की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया।
‘हार के डर से अब संस्थानों को बदनाम कर रही कांग्रेस’
प्रधान ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि देश की जनता अब कांग्रेस की हर चाल समझ चुकी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हार को स्वीकार नहीं कर पा रही और अब वह लोकतांत्रिक संस्थानों जैसे चुनाव आयोग पर आरोप लगाने लगी है। धर्मेंद्र प्रधान ने दावा किया कि ओडिशा में कांग्रेस की कोई राजनीतिक जमीन नहीं बची है और पार्टी सिर्फ दिखावटी आंदोलनों में लगी है।
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राहुल गांधी के बयान ने भाजपा को कांग्रेस पर प्रहार करने का एक और मौका दे दिया है। दोनों पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का यह दौर आने वाले राज्यों के चुनाव और 2029 की तैयारी का संकेत देता है। अब देखना होगा कि कांग्रेस अपने बयान पर कायम रहती है या सफाई देती है, और चुनाव आयोग इस पूरे विवाद पर क्या रुख अपनाता है।