BHARAT PM Narendra Modi
नई दिल्ली: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का 73वां जन्मदिन है। मोदी (Happy Birthday PM Modi) का जन्म गुजरात (Gujarat) के वडनगर में 7 सितंबर 1950 को हुआ था। उनके पिता का नाम दामोदर दास मोदी और मां का नाम हीराबेन मोदी है। नरेंद्र मोदी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनने का उनका सफर बहुत चुनौतीपूर्ण रहा। एक साधारण परिवार में जन्में नरेंद्र मोदी को राष्ट्र प्रेम और देश सेवा की ललक ने उन्हें चुनौतियों का सामना और सघर्ष में भी आगे बढ़ने का साहस दिया। आज पीएम मोदी विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता में शुमार हैं।
आइये जानते हैं नरेंद्र मोदी से पीएम मोदी बनने का सफर:
पीएम मोदी ने राजनीति में कब कदम रखा?
पीएम मोदी के राजनीतिक करियर से पहले RSS की चर्चा करना जरूरी है। नरेंद्र मोदी आठ साल के उम्र में ही RSS से जुड़ गए। 4 जुलाई 1975 यह दूसरी बार था जब RSS पर प्रतिबंध लगाया था। पूरे भारत में छापे मारे गए और नागपुर स्थित RSS मुख्यालय सील कर दिया गया। तत्कालीन RSS प्रमुख बालासाहब देवरस को आपातकाल के कुछ दिन बाद गिरफ्तार कर लिया गया साथ ही समस्त प्रमुख RSS कार्यकर्ताओ को ढूंढ- ढूंढ कर जेल में डाल दिया जा रहा था। ऐसे में RSS कार्यकर्ता और प्रचारक बस किसी तरह खुद को बचाने के लिए छिपने की कोशिश करते थे।
आपातकाल के समय में मोदी
वही आपातकाल का समय था, जब नरेंद्री मोदी के क्षितिज का विस्तार हुआ। मोदी के अनुभव आपातकाल के दौरान भगवा नेटवर्क के विस्तार के सूचकांक थे। नेताओं से सहानुभूति रखने वाले लोगों ने अपने परिवारों की सुरक्षा को जोखिम में डालकर उन्हें घरों में आश्रम और भोजन उपलब्ध कराया। इसी दौरान जनसंघ के कई ऐसे नेता से मिले जो कभी आरएसएस के पांच स्वर्ण मुद्राएं कहे जाते थे। यहीं से नरेंद्र मोदी के लिए राजनीति का दरवाजा खुलता है। मोदी खुद की पहचान छिपाते हुए भूमिगत तरीके जनसंघ के नेताओं की मदद करते रहे।
साल 1985 में नरेंद्र मोदी बीजेपी से जुड़े
एमरजेंसी के 10 साल बाद बाद यानी 1985 में नरेंद्र मोदी बीजेपी से जुड़े और 2001 तक पार्टी के भीतर कई पदों पर कार्य किया, जहां से धीरे- धीरे उनका कद बीजेपी में बढ़ाने लगा और वे पार्टी में सचिव के पद पर पहुंच गए। गुजरात के भुज में 2001 में भूकम्प के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री केशुभाई पटेल के असफल स्वास्थ्य और खराब सार्वजनिक छवि के कारण नरेंद्र मोदी को 2001 में गुजरात के मुख्यमन्त्री पद पर नियुक्त किया गया। इसके बाद नरेंद्र मोदी जल्द ही गुजरात विधानसभा के लिए चुने गए।
गोधरा कांड की वजह से मोदी की आलोचना
2002 के गुजरात दंगों में उनके प्रशासन को कठोर माना गया है, इस समय उनके संचालन की आलोचना भी हुई। हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (SIT) को अभियोजन पक्ष की कार्यवाही आरम्भ करने के लिए कोई प्रमाण नहीं मिला। वहीं गुजरात के मुख्यमन्त्री के रूप में उनकी नीतियों को आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए श्रेय दिया गया।
अमेरिका ने वीजा देने से मना किया
गुजरात दंगों के दाग के कारण वर्ष 2005 में मोदी को अमेरिका ने वीजा देने से मना कर दिया था। वहीं गुजरात में मुस्लिम कट्टरपंथी नरेन्द्र मोदी के विरोधी थे, इनमें से एक जफ्फर सरेशवाला थे जो इनके मुख्यमंत्री बनने के बाद लंदन चले गए और इनके खिलाफ प्रचार-प्रसार किया। बाद में जब वे मोदी से मिले तो इनके करीबी बन गए।
गुजरात के 14वें मुख्यमन्त्री रहे नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी गुजरात राज्य के 14वें मुख्यमन्त्री रहे। उन्हें गुजरात की जनता ने लगातार 4 बार यानी 2001 से 2014 तक गुजरात का मुख्यमन्त्री चुना। नरेन्द्र मोदी काे विकास पुरुष भी कहा जाता है और वर्तमान समय में देश के ही नहीं बल्कि विश्व के सबसे लोकप्रिय नेताओं में शुमार हैं। मोदी को पर्सन ऑफ द ईयर 2013 के 42 उम्मीदवारों की सूची में शामिल भी किया जा चुका है।
अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में मोदी की पहली राजनीतिक गतिविधि
नरेंद्र मोदी की पहली ज्ञात राजनीतिक गतिविधि अटल बिहारी वाजपेयी के अगुवाई में एक सत्याग्रह में शामिल हुए थे। 1971 में अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में दिल्ली में भारतीय जनसंघ के सत्याग्रह में नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे, ताकि युद्ध के मैदान में प्रवेश किया जा सके, लेकिन इंदिरा गांधी की अगुवाई में केन्द्र सरकार ने मुक्तिवाहिनी को खुला समर्थन नहीं दिया और मोदी को थोड़े समय के लिए तिहाड़ जेल में डाल दिया गया।
शुरुआती जीवन से ही मोदी ने राजनीतिक सक्रियता दिखलाई
नरेन्द्र जब विश्वविद्यालय के छात्र थे तभी से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में नियमित जाने लगे थे। इस प्रकार उनका जीवन संघ के एक निष्ठावान प्रचारक के रूप में प्रारम्भ हुआ| उन्होंने शुरुआती जीवन से ही राजनीतिक सक्रियता दिखलाई और बीजेपी का जनाधार मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। गुजरात में शंकरसिंह वाघेला का जनाधार मजबूत बनाने में नरेन्द्र मोदी की ही रणनीति थी।
दो राष्ट्रीय घटनाएं और नरेंद्र मोदी
इस दौरान दो राष्ट्रीय घटनायें घटीं। पहली घटना थी सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथयात्रा जिसमें आडवाणी के प्रमुख सारथी की मूमिका में नरेन्द्र का मुख्य सहयोग रहा। इसी प्रकार कन्याकुमारी से लेकर सुदूर उत्तर में स्थित कश्मीर तक की मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा भी नरेन्द्र मोदी की ही देखरेख में आयोजित हुई। इसके बाद शंकरसिंह वाघेला ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया, जिसके परिणामस्वरूप केशुभाई पटेल को गुजरात का मुख्यमन्त्री बना दिया गया और नरेन्द्र मोदी को दिल्ली बुला कर बीजेपी में संगठन की दृष्टि से केन्द्रीय मन्त्री का दायित्व सौंपा गया।
केशुभाई पटेल को मुख्यमन्त्री पद से हटाकर गुजरात की कमान नरेन्द्र मोदी को सौंप गया
राष्ट्रीय मन्त्री के नाते 1995 में मोदी को पांच प्रमुख राज्यों में पार्टी संगठन का काम दिया गया, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। 1998 में उन्हें पदोन्नत करके राष्ट्रीय महामन्त्री संगठन का उत्तरदायित्व दिया गया। इस पद पर वह अक्टूबर 2001 तक काम करते रहे। भारतीय जनता पार्टी ने अक्टूबर 2001 में केशुभाई पटेल को हटाकर गुजरात के मुख्यमन्त्री पद की कमान नरेन्द्र मोदी को सौंप दी।
2014 का लोकसभा चुनाव
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 282 सीटें जीती जो लोकसभा चुनाव में अब तक की बीजेपी की सबसे बड़ी जीत थी। नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी और अपने गृहराज्य गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दोनों जगह से जीत दर्ज की।
2019 लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को जनाधार
इसके बाद साल 2019 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पीएम मोदी ने नेतृत्त्व में दोबारा चुनाव लड़ा और इस बार पहले से भी ज्यादा बड़ी जीत दर्ज की।पार्टी ने अबकी बार कुल 303 सीटों पर जीत हासिल की। बीजेपी के समर्थक दलों यानी राजग को कुल 352 सीटें मिलीं। 30 मई 2019 को शपथ ग्रहण कर नरेन्द्र मोदी लगातार दूसरी बार प्रधानमन्त्री बने।