
नई दिल्ली: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में कांग्रेस पर जमकर प्रहार किए। पीएम ने कहा कि ये देश का दुर्भाग्य है कि कुछ लोग अर्बन नक्सल की भाषा खुलेआम बोल रहे हैं। इंडियन स्टेट के सामने मोर्चा लेना, लड़ाई की घोषणा करने वाले संविधान और देश की एकता को नहीं समझ सकते। इस दौरान पीएम ने राष्ट्रपति को लेकर दिए गए सोनिया गांधी के बयान पर भी जवाबी हमला बोला।
पीएम मोदी ने कहा कि 7 दशक तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को संविधान के अधिकारों से वंचित रखा गया। ये संविधान और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के साथ अन्याय था। हमने 370 की दीवार गिरा दी। अब देश के लोगों को अधिकार हैं वो उन्हें भी मिल रहे हैं। जो लोग संविधान को जेब में लेकर घूमते हैं उन्हें नहीं पता था कि आपने मुस्लिम महिलाओं का क्या हाल किया। हमने ट्रिपल तलाक खत्म कर के मुस्लिम महिलाओं को उनका अधिकार दिया।
पीएम मोदी ने कहा कि एनडीए के लिए जो आखिरी है वह महत्वपूर्ण है। हम पूर्वोत्तर के लिए अलग मंत्रालय बनाते हैं। हमने देश में आदिवासियों के लिए अलग मंत्रालय बनाया। दक्षिण और पूर्व के कई राज्य समुद्र से जुड़े हैं। वहां मछली पालने वालों के आखिरी तबके के लोगों के लिए अलग मंत्रालय दिया। समाज के दबे-कुचले वंचित लोगों के स्किल डेवलपमेंट को बल मिले तो उन्हें नया जीवन मिल सकता है। इसके लिए हमने अलग स्किल मंत्रालय बनाया। अनेक क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए कोऑपरेटिव मंत्रालय बनाया।
पीएम मोदी ने कहा कि जाति की बात करना कुछ लोगों के लिए फैशन बन गया है। बीते 30 साल से सदन में आने वाले ओबीसी सांसद ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा देने की मांग कर रहे थे। जिन्हें आज जाति की बात करने में मलाई दिखती है उन्हें समझ नहीं आया लेकिन हमने ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिया। हर सेक्टर में एससी, एसटी, ओबीसी को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिले उस दिशा में हमने मजबूती से काम किया है।
पीएम मोदी ने पूछा कि क्या एक ही समय में संसद में एससी वर्ग के एक ही परिवार के 3 सांसद हुए हैं क्या? कोई ये बताए कि एक ही कालखंड में संसद में एसटी वर्ग के एक ही परिवार के 3 सांसद हुए हैं क्या। कुछ लोगों की बात और करनी में जमीन आसमान का अंतर होता है। हम एससी-एसटी समाज को कैसे सशक्त कर रहे हैं। समाज में तनाव पैदा किए बिना, एकता को रखते हुए काम कैसे किया जाता है इसका उदाहरण देता हूं।
एससी, एसटी, ओबीसी युवा-युवतियों के लिए कितनी वृद्धि हुई है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। हम हर योजना को शत प्रतिशत लागू करने में लगे हुए हैं। ताकि जिसका हक है उसे मिले। यहां 1 रुपया और 15 पैसा वाला खेल नहीं है। कुछ लोगों ने तुष्टिकरण की राजनीति की। हमने रास्ता चुना है कि तुष्टिकरण नहीं बल्कि संतुष्टिकरण की ओर बढ़ें। हर समाज के लोगों को उसके हक का मिले वह है संतुष्टिकरण। ये असल में सामाजिक न्याय, सेक्यूलरिज्म और संविधान का सम्मान है।
विदेश नीति को लेकर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि वे जब तक फॉरेन पॉलिसी नहीं बोलते तब तब मैच्योर नहीं लगते। भले ही देश का नुकसान हो जाए। ऐसे लोगों को मैं कहना चाहता हूं कि अगर उन्हें सच में इसमें रुचि है और इसे समझना है उन्हें एक किताब पढ़नी चाहिए। उस किताब का नाम है ‘JFK फॉरगोटेन क्राइसिस’। इसमें अहम घटनाओं का जिक्र है। इसमें भारत के पहले पीएम जो विदेश मंत्री भी थे, पंडित नेहरू और JFK (अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी) के बीच बातचीत का वर्णन है। जब देश चुनौतियों का सामना कर रहा था तब विदेश नीति के नाम पर क्या खेल हो रहा था उस किताब में सामने आया था।
राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद, एक महिला, एक गरीब परिवार की बेटी का सम्मान न कर सकी। उन्हें क्या-क्या कहकर अपमानित किया जा रहा है। एक राष्ट्रपति के खिलाफ ऐसा बोलने का क्या कारण है। आज भारत इस तरह की विकृत मानसिकता को छोड़कर विमेन लेड डेवलपमेंट लेकर आगे बढ़ रहा है। अगर आधी आबादी को पूरा अवसर मिले तो भारत दोगुनी रफ्तार से आगे बढ़ सकता है। बीते 10 साल में स्वयं सहायता समूह में 10 करोड़ नई महिलाएं जुड़ी हैं जो वंचित ग्रामीण परिवेश से है। अब तक करीब सवा करोड़ महिलाएं लखपति दीदी बनी हैं। हमारा लक्ष्य है कि 3 करोड़ महिलाएं ऐसी बनें।
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पीएम ने आगे कहा कि खेती के बजट में 10 गुना बढ़ोतरी की गई है। 2014 से पहले .यूरिया मांगने पर लाठी मिलती थी। कतारों में खड़ा रहना पड़ता था। खाद किसानों के नाम पर निकलती थी और कहीं और कालाबाजारी होती थी। आज किसानों को पर्याप्त खाद नमिल रही है। हम यूरिया पर डिपेंडेंट हैं आयात करना पड़ता है। कोविड में 300 रुपये से कम में यूरिया दिया गया। किसानों को सस्ती खाद मिले इसके लिए बीते 10 साल में 12 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। पीएम किसान सम्मान नीधि के तहत 3.5 लाख करोड़ रुपये किसानों के खाते में गए हैं। किसानों को ऋण मिले उसमें तीन गुणा बढो़तरी हुई है।






