आरक्षण (कांसेप्ट फोटो सौ. सोशल मीडिया)
श्रीनगर : पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से आरक्षण के मुद्दे को सुलझाने का रास्ता तलाश करने का आह्वान करते हुए कहा कि मामले को अदालतों पर छोड़ना ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ है। मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों, विशेषकर युवाओं ने विधानसभा चुनाव में बड़ी संख्या में एनसी को वोट दिया ताकि आरक्षण को ‘तर्कसंगत’ बनाया जा सके और किसी का अधिकार नहीं छीना जा सके।
हम इसमें कोई राजनीति नहीं चाहते, लेकिन हम सामान्य वर्ग के छात्रों को परेशान कर रहे हैं। सीएम ने 6 महीने का समय मांगा है। और उनके पास लद्दाख समेत तीन सांसद और 50 विधायक हैं, उन्हें 6 महीने की जरूरत क्यों है? उन्हें लगता है कि अदालत का फैसला आ जाएगा और उन्हें कुछ नहीं करना पड़ेगा। सरकार आरक्षण के मुद्दे को सुलझाने के लिए एसआरओ ला सकती थी, जैसा उन्होंने 2018 में किया था। जब वो स्नातकोत्तर में सामान्य श्रेणी के लिए 75 प्रतिशत सीट निर्धारित करने के लिए एसआरओ-49 लेकर आई थीं।
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पीडीपी अध्यक्ष ने सवाल किया कि यदि इन 6 महीनों में व्याख्याताओं, पुलिस आदि की भर्ती होती है तो इन (सामान्य श्रेणी के छात्रों) को क्या मिलेगा? मुख्यमंत्री आवास के बाहर नेकां के श्रीनगर से सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन का जिक्र करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि- लोगों ने संसदीय चुनावों में भी ये सोचकर नेकां को वोट दिया था कि वे उनके मुद्दों को सुलझाएंगे या कम से कम संसद में उन्हें उठाएंगे।
बता दें कि देश में हालात अब अलग हैं। पीडीपी प्रमुख ने बांग्लादेश की स्थिति को लेकर कहा है कि वहां हालात ठीक नहीं हैं, और वहां हमारे हिंदू भाइयों पर अत्याचार हो रहे हैं। भारत और बांग्लादेश में कोई अंतर नहीं है। यहां भी अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।