सरसंघचालक मोहन भागवत (फोटो- सोशल मीडिया)
RSS Cheaf Mohan Bhagwat on Centenary Celebration: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 साल पूरे होने पर नागपुर में विजयादशमी का भव्य उत्सव मनाया गया। सरसंघचालक मोहन भागवत ने शस्त्र पूजा के बाद देश को संबोधित करते हुए पहलगाम हमले का जिक्र कर दोस्तों और दुश्मनों को पहचानने की नसीहत दी। वहीं, मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संघ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए बाबा साहब अंबेडकर के साथ समानताएं गिनाईं। इस मौके पर 21 हजार स्वयंसेवक मौजूद रहे और संघ के शताब्दी वर्ष समारोहों की शुरुआत हुई। शताब्दी उत्सव में संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि हिंसक मार्गों से बदलाव नहीं होता है।
नागपुर के रेशमबाग मैदान में आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की शुरुआत सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा शस्त्र पूजा से हुई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी समेत कई बड़े नेता मौजूद थे। भागवत और कोविंद ने संघ के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस भव्य आयोजन के साथ ही संघ की स्थापना के शताब्दी वर्ष के तहत साल भर चलने वाले कार्यक्रमों का भी शुभारंभ हो गया है।
अपने संबोधन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकियों ने धर्म पूछकर हिंदुओं की हत्या की, जिसका हमारी सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। उन्होंने कहा, “इस घटना से हमें दोस्त और दुश्मन का पता चला।” भागवत ने संदेश दिया कि भारत को अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सचेत रहते हुए अपनी सुरक्षा के लिए हमेशा सतर्क और समर्थ रहना होगा। उन्होंने नक्सलियों पर हो रही कठोर कार्रवाई का भी उल्लेख किया। वैश्विक उथल-पुथल और अमेरिका के टैरिफ का जिक्र कर उन्होंने देश को स्वदेशी से मजबूत करने पर जोर दिया और कहा कि हमारी निर्भरता कभी मजबूरी में नहीं बदलनी चाहिए।
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मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संघ को सामाजिक एकता का पक्षधर बताया। उन्होंने नागपुर के दो महापुरुषों, डॉक्टर हेडगेवार और बाबा साहब अंबेडकर को अपने जीवन का प्रेरणास्रोत बताया। उन्होंने कहा कि उनका संघ से परिचय तब हुआ जब वे कानपुर से चुनाव लड़ रहे थे और उन्होंने पाया कि संघ में जातिगत कोई भेदभाव नहीं है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि अटलजी ने कहा था कि हमारी सरकार मनुस्मृति से नहीं, अंबेडकर स्मृति से चलती है। कोविंद ने बताया कि बाबा साहब ने भी कहा था कि वे संघ को अपनेपन की दृष्टि से देखते हैं।