ड्रोन की एआई फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली: भारतीय सेना अपनी ड्रोन शक्ति को उन्नत करने की योजना बना रही है, खासतौर पर इंटेलिजेंस, निगरानी, टोही (ISR) और सटीक हमलों के लिए अधिक सक्षम ड्रोन शामिल करने पर जोर दिया जा रहा है। रूस-यूक्रेन और आर्मेनिया-अजरबैजान की लड़ाई ने मॉडर्न जंग में ड्रोन की अहमियत को दिखाया है।
सेना ऐसी ड्रोन तकनीक चाहती है जो 1000 किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर सके, 30,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई तक उड़ान भर सके और 24 घंटे से अधिक समय तक संचालित रह सके। इसके लिए स्वदेशी विकास के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
सेना भविष्य में किसी भी युद्ध जैसी स्थिति के लिए खुद को तैयार कर रही है। वह अपनी ड्रोन शक्ति बढ़ाने के लिए एक लंबी योजना बना रही है। ये ड्रोन दुश्मन पर नजर रखने, जानकारी इकट्ठा करने और सटीक हमले करने में सहयोग करेंगे। रूस-यूक्रेन और आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच हुए युद्धों ने दिखाया है कि ड्रोन कितने जरूरी हैं। आजकल के युद्ध में अनमैन्ड एरियल व्हीकल और रिमोटली पायलट एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल बढ़ रहा। ऐसे में सेना भी अपने ड्रोन बेड़े को मजबूत करना चाहती है।
सेना ऐसे यूएवी (मानवरहित हवाई वाहन) और आरपीए (रिमोट से चलने वाले एयरक्राफ्ट) चाहती है जो बहुत दूर तक जा सकें। ये ड्रोन 1,000 किलोमीटर से ज़्यादा दूर तक उड़ान भर सकेंगे। ये दुश्मन के रडार से बचने के लिए 30,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम होंगे। इनकी उड़ान क्षमता भी बहुत ज्यादा होगी। ये बिना रुके 24 घंटे से अधिकत समय तक उड़ान भर सकेंगे।
देश की अन्य खबरों से अप-टू-डेट होने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें…
भारतीय सेना के पास करीब 50 इजराइली हेरोन, मार्क-II और सर्चर-II मेल (मीडियम-ऑल्टिट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस) ड्रोन हैं। चीन के साथ सैन्य गतिरोध के बीच, सेना ने एलएसी(लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर निगरानी बढ़ाने के लिए चार नए हेरोन मार्क-II ड्रोन शामिल किए हैं। हालांकि वायुसेना और नौसेना के अपने ड्रोन हैं, लेकिन तीनों सेनाओं को कम से कम 150 नए मेल ड्रोन की जरूरत है।
इसके लिए, सेना डीआरडीओ और निजी कंपनियों की ओर से स्वदेशी ड्रोन डेवलप करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसमें मित्र देशों के साथ सहयोग भी शामिल है।डीआरडीओ ने तापस -बीएच-201 सहित रूस्तम सीरीज के ड्रोन विकसित किए हैं। लेकिन यह पूरी तरह से सैन्य जरूरतों को पूरा नहीं कर पाया।
एक सूत्र ने कहा, ‘तापस की क्षमताओं को बढ़ाने के प्रयास चल रहे हैं।’ ज्यादा सक्षम हाई-ऑल्टिट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस ड्रोन के मामले में, सेना को 31 एमक्यू-9बी ‘प्रडेटर’ ड्रोन मिलेंगे। यह सौदा अमेरिका के साथ पिछले साल अक्टूबर में 32,350 करोड़ रुपये में हुआ था। इन ड्रोनों की डिलीवरी 2029 में शुरू होगी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)