बसपा सुप्रीमो मायावती (सोर्स- सोशल मीडिया)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में उपचुनाव से पहले एक बार फिर से आरक्षण का मुद्दा मैदान में आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के एससी एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर के फैसले के बाद इसे लेकर लगातार सियासी बयानबाजी का दौर जारी है। इस बीच बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भी आरक्षण को लेकर एक बयान में केन्द्र सरकार को घेरते बड़ा हमला बोला है। मायावती ने जो कुछ कहा उसके सियासी मायने क्या हैं समझते हैं।
एससी एसटी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केन्द्रीय कैबिनेट की सहमति के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने आरक्षण के मुद्दे को हवा दे दी है। शनिवार को एक प्रेस वार्ता में मायावती ने कहा कि केन्द्र सरकार अपने हित के मामलों पर जब चाहे संसद का सत्र बुला लेती है तो फिर एससी-एसटी आरक्षण के अति-महत्वपूर्ण मुद्दे के आश्वासन को पूरा किये बिना ही संसद को क्यों अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया?
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इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर एससी-एसटी आरक्षण के मामले में केन्द्र की नीयत पाक-साफ है तो संसद का सत्र बुलाकर सम्बंधित संविधान संशोधन जरूर पारित करे, जिससे इस मुद्दे पर कांग्रेस व सपा सहित अन्य सभी पार्टियों की भी नीयत व नीति देश के सामने साफ हो जाएगी।
इस दौरान मायावती ने कांग्रेस व सपा आदि तथा उनके उन सभी नेताओं को आड़े हाथ लिया जो लोकसभा चुनाव के समय में संविधान बचाने के नाम पर संविधान की प्रति लेकर घूमते थे तथा रैलियों में उसे लहराया करते थे तथा बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे और अब उनसे पूछें कि आज वे लोग कहाँ हैं जब आरक्षण के माध्यम से संविधान पर वास्तव में हमला हो रहा है। आज वे लोग चुप क्यों हैं? उन लोगों का ऐसा कृत्य विश्वासघात नहीं है, तो और क्या है?
मायावती के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में उनके स्टैंड को लेकर शोरगुल मच गया है। सियासी पंडितों के बीच कहासुनी में यह बात उठ रही है कि मायावती ने उपचुनाव से पहले आरक्षण को मुद्दा बनाकर पार्टी को फिर से मजबूत करना चाहती हैं। यही वजह है कि मायावती ने तेजी से यह मुद्दा लपका है। जिससे वह एक बार फिर से पार्टी में जान डाल सकें।
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