नंदुरबार लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
नवभारत डिजिटल डेस्क: नंदुरबार लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र (Nandurbar Lok Sabha Seat) उत्तर महाराष्ट्र (Maharashtra) का एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है। यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजाति अर्थात एसटी के लिए आरक्षित है। इस निर्वाचन क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इनमें अक्कलकुवा, शाहदा, नंदुरबार, नवापुर, सकरी और शिरपुर शामिल हैं। ये सभी विधानसभा क्षेत्र भी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इसका कारण यह है कि नंदुरबार (Nandurbar) जिला आदिवासी बहुल है। खास बात यह है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) का नंबर एक विधानसभा क्षेत्र अक्कलकुवा विधानसभा क्षेत्र नंदुरबार लोकसभा (Lok Sabha Elections 2024) क्षेत्र में है। कुल मिलाकर नंदुरबार लोकसभा क्षेत्र आदिवासी बहुल माना जाता है।
आदिवासी बहुल निर्वाचन क्षेत्र
नंदुरबार निर्वाचन क्षेत्र में एसटी वर्ग के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। 2011 की जनगणना के मुताबिक इस सीट पर एसटी वोटरों की संख्या करीब 12,00,191 थी। वहीं, उस समय एससी मतदाताओं की संख्या लगभग 67,103 थी, जो कुल जनसंख्या का 3।5 प्रतिशत थी। इस सीट पर मुस्लिम मतदाता भी हैं जिनकी संख्या 1,06,263 थी। जनसंख्या की दृष्टि से उस समय जिले की कुल जनसंख्या में उनकी हिस्सेदारी 5.5 प्रतिशत थी।
माणिकराव गावित के नाम ये रिकार्ड
नंदुरबार लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस 1967 से चौथी लोकसभा के बाद से यहां जीतती आ रही है। 2014 में जब कांग्रेस का विजय रथ रुका तो मोदी लहर में यह सीट बीजेपी ने जीत ली। यानी 1967 से 2009 तक लगातार 12 बार कांग्रेस ने नंदुरबार में जीत हासिल की है। इसमें खास बात ये है कि नंदुरबार में 1984 से 2009 तक लगातार 8 बार कांग्रेस के माणिकराव गावित ने जीत हासिल की है। उनके नाम नंदुरबार से सांसद के रूप में सबसे अधिक बार जीत हासिल करने का रिकॉर्ड है। इससे पहले कांग्रेस के तुकाराम गावित 1967 और 1971 में लगातार दो बार निर्वाचित हुए थे। उनके बाद सुरूप सिंह नाइक 1977 और 1980 में लगातार निर्वाचित हुए। इस तरह हिना गावित ने 2014 में नंदुरबार लोकसभा सीट जीती, जो कांग्रेस का अभेद्य गढ़ रहा। मोदी लहर में उन्हें जीत मिली। इस बार उन्होंने माणिकराव गावित को 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराया।
माणिकराव गावित (PIC Credit: Social Media)
2019 के चुनाव में, केसी पदवी को इस निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस द्वारा नामित किया गया था और उन्होंने अच्छा चुनाव लड़ा। जबकि राज्य में जीतने वाले भाजपा उम्मीदवारों के वोटों का बहुमत लाखों के करीब था, इस निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार की बढ़त कम हो गई थी।
लोकसभा क्षेत्र में महायुती का दबदबा
यदि हम नंदुरबार लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पर विचार करें, तो इस निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इसमें नंदुरबार जिले के चार विधानसभा क्षेत्र और धुले जिले के दो विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। अक्कलकुवा और नवापुर विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक हैं जबकि सकरी निर्वाचन क्षेत्र में शिंदे गुट के विधायक हैं। नंदुरबार, शहादा और शिरपुर विधानसभा क्षेत्र भाजपा के नियंत्रण में हैं। नंदुरबार निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा नेता और वर्तमान मंत्री डॉ. विजयकुमार गावित की शहादा तलोदा सीट पर बीजेपी के राजेश पाडवी विधायक हैं। शिरपुर सीट पर बीजेपी के काशीनाथ पावरा विधायक हैं। अक्कलकुवा विधानसभा क्षेत्र में वरिष्ठ कांग्रेस नेता केसी पाडवी विधायक हैं। नवापुर में विधायक शिरीष नाइक विधायक हैं। सकरी विधानसभा क्षेत्र में शिंदे गुट की मंजुला गावित विधायक हैं।पार्टी की ताकत पर गौर करें तो इस लोकसभा क्षेत्र में महायुती का दबदबा देखा जा सकता है। इसमें छह में से चार विधानसभा क्षेत्र महायुति के कब्जे में हैं।
हिना गावित और गोवाल पदवी मे मुकाबला
अब एक बार फिर बीजेपी ने हिना गावित की उम्मीदवारी का ऐलान किया है। यह लगभग तय था कि उन्हें नामांकन मिलेगा। लेकिन कांग्रेस का उम्मीदवार कौन है? इसको लेकर अस्पष्टता थी। पार्टी में बड़ी संख्या में दावेदार थे। इसलिए अलग-अलग भविष्यवाणियां की गईं। गोवाल पदवी की उम्मीदवारी की घोषणा ने कांग्रेस में ही कई लोगों को चौंका दिया है। आम लोगों के बीच ज्यादा चर्चा में न रहने वाले इस नाम ने सभी को अवाक कर दिया है। कांग्रेस का ये गूगली कितनी जादू करती है ये तो वक्त ही बताएगा।
हिना गावित और गोवाल पदवी (PIC Credit: Soical media)
कांग्रेस की ओर से हुई थी ‘इन’ नामों पर चर्चा
कांग्रेस की उम्मीदवारी को लेकर क्षेत्र के लोगों में अस्पष्टता पैदा हो गई थी। पिछले चुनाव में पूर्व मंत्री केसी पदवी को हार का सामना करना पड़ा। सवाल था कि क्या वह इस बार उम्मीदवार होंगे या नहीं। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव की बयार बहने लगी, कांग्रेस में दावेदारों की सूची भी बढ़ने लगी। इसमें कई दिग्गज शामिल थे।
कांग्रेस (File Photo)
सबसे पहले पूर्व मंत्री सुरूप सिंह नाइक की स्नुषा रजनी नाइक और उसके बाद सीमा वलवी के नाम पर चर्चा हुई। दोनों जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष हैं। वे जिले में परिचित हैं। इस बीच विधायक केसी पदवी ने फिर से उम्मीदवारी की अगुवाई की। फिलहाल वह जिले के पार्टी नेता हैं। इसलिए उन्होंने नाइक परिवार को रोका।
उन्होंने पार्टी नेताओं को मैदान में उतारा। प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने जिले में दो दौरे किये। पार्टी के अन्य पदाधिकारियों को लगा कि कौल पदवी के पक्ष में झुक रहे हैं। इसलिए ‘केसी’ का नाम आगे आया। यहां तक कि पार्टी निरीक्षकों की बैठकों में भी उनका नाम पहले स्थान पर होता था।
जीत की हैट्रिक लगाना चाहेगी हीना गावित
अब दोनों पक्षों के उम्मीदवारों की घोषणा के बाद प्रचार-प्रसार भी शुरू हो गया है। कांग्रेस से गोवाल पाडवी लगातार दो बार सांसद रह चुकीं हीना गावित के खिलाफ चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इसमें जीत किसकी होगी ये तो नतीजे ही बताएंगे। लेकिन गोवाल पदवी अपने पिता की हार का बदला लेने के लिए तैयार है। हीना गावित भी जीत की हैट्रिक लगाने के लिए तैयार हैं।
इस निर्वाचन क्षेत्र में अभियान मुख्य रूप से आदिवासियों से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित होगा। इसमें आदिवासी इलाकों का विकास, नई योजनाएं, सड़क, पानी, कृषि संबंधी मुद्दे, प्रवासी मजदूरों के मुद्दे जैसे मुद्दे अहम होंगे।