प्रतीकात्मक तस्वीर- एक राष्ट्र एक चुनाव(फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक अगले साल 8 जनवरी को होगी। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने मंगलवार को कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ कराना आसान काम नहीं है। संयुक्त संसदीय समिति सभी मुद्दों पर चर्चा करेगी। खुर्शीद ने न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा कि यह आसान काम नहीं है। जब संसदीय समिति बैठेगी, तो सभी मुद्दे उसके सामने रखे जाएंगे और उन पर चर्चा की जाएगी।
वामपंथी दलों ने सरकार के ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ कदम का कड़ा विरोध किया है, जिसके लिए लोकसभा में दो विधेयक पेश किए गए हैं और कहा है कि यह संघीय ढांचे और राज्य विधानसभाओं के अधिकारों पर सीधा हमला है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के नेताओं ने रविवार को राष्ट्रीय राजधानी में बैठक की और मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की।
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वाम दलों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि संविधान में प्रस्तावित संशोधन संघीय ढांचे और राज्य विधानसभाओं तथा उन्हें चुनने वाले लोगों के अधिकारों पर सीधा हमला है। यह विधानसभाओं के पांच साल के कार्यकाल को मनमाने ढंग से कम करके केंद्रीकरण और लोगों की इच्छा को कम करने का नुस्खा है। लोकसभा में पेश किए गए इस विधेयक में पूरे भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव है। इस विधेयक पर गहन चर्चा के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया है।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक की जांच करने वाली 31 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा और मनीष तिवारी, एनसीपी की सुप्रिया सुले, टीएमसी के कल्याण बनर्जी और भाजपा के पीपी चौधरी, बांसुरी स्वराज और अनुराग सिंह ठाकुर सहित लोकसभा के 21 सदस्य शामिल हैं। इस समिति में राज्यसभा के दस सदस्य भी शामिल हैं। विपक्षी सदस्यों ने संशोधनों का विरोध किया है, और तर्क दिया है कि प्रस्तावित परिवर्तन से सत्तारूढ़ दल को अनुपातहीन रूप से लाभ हो सकता है, जिससे उसे राज्यों में चुनावी प्रक्रिया पर अनुचित प्रभाव मिल सकता है, और क्षेत्रीय दलों की स्वायत्तता कम हो सकती है।