प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: हर देश अपने दुश्मन देश की पूरी गोपनीय जानकारी पाना चाहता है। फिर उसके लिए उसे कोई भी राह क्यों न चुननी पड़े। वो अपने कदम पीछे नहीं लेता है। वहीं देश की सुरक्षा में सेंध न लगे उसके हर तरह के जासूस पर नजर रखने के लिए खुफिया एजेंसी हर वक्त मुस्तैद रहती हैं। लेकिन उसके बाद भी कई ऐसे लोग होते हैं जो हनी ट्रैप में फंस जाते हैं। हनी ट्रैप का ऐसा जाल है जिसमें बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल करने वाले अधिकारी फंस जाते हैं। हनी ट्रैप से जुड़ी अक्सर खबरें सामने आती रहती है। आखिर हनी ट्रैप कैसे लोगों को अपने झांसे में लेते हैं उनका तरीका क्या होता है। चलिए हम आपको बताते हैं।
क्या होता है हनी ट्रैप
हनी ट्रैप का नाम सुनकर ही उसका मतलब साफ़ समझ में आ जाता है। जैसे कि हनी मतलब शहद और ट्रैप एक जाल जिसमें बड़े बड़े सरकारी अधिकारीयों से लेकर आम आदमी को फंसाया जाता है। उसके बाद उनसे गोपनीय जानकारी मांगी जाती है। वहीं लोकल यानी आम आदमी से वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल कर पैसे उगाहने का काम किया जाता है। अगर हम इंटरनेशल लेवल पर इसकी बात करें तो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI अक्सर भारत की सुरक्षा से जुड़ी जानकारी निकालने के लिए खूबसूरत महिलाओं का इस्तेमाल करता है। भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना से जुड़े अधिकारी या फिर देश के अहम पदों पर काम कर रहे लोगों के पीछे इन्हें लगाया जाता है। फिर उसके लिए ये महिलाएं जो हनी ट्रैप के ट्रेंड होती हैं वो उन्हें अपने जाल में फंसाने की कोशिश करती हैं। जब उन्हें इसमें कामयाबी मिलती है तो उनसे फिर देश से जुड़ी गोपनीय जानकारियां निकाल के अपने मुल्क के खुफिया विभाग को देने लगती हैं।
कैसे किया जाता है हनीट्रैप?
पहले और अब के हनी ट्रैप में बड़ा अंतर आ गया है। अगर पीछे पलटकर देखें तो पहले हनी ट्रैप के लिए महिलाओं का इस्तेमाल मेल-जोल बढ़ने और उसके बाद उनका भरोसा जीतने के बाद उनसे जानकारी निकाला जाता था। लेकिन अब जमना बदल गया है और आज के दौर में सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। जिसमें फेसबुक, व्हाट्सएप, वीडियो कॉल, मैसेंजर जैसे कई सोर्स हैं। जिनके माध्यम से फ्रेड रिक्वेस्ट या फिर वीडियो कालिंग होती है और भरोसा जीतने के लिए एक दूसरे अपना नंबर भी शेयर कर लेते हैं।
हनी ट्रैप का ताजा मामला
विदेश मंत्रालय मॉस्को में पदस्थ भारतीय दूतावास के एक कर्मचारी को कथित तौर पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने से संबंधित मामले में जांच अधिकारियों के साथ काम कर रहा था। आतंकवाद रोधी दस्ते (ATS) ने हापुड जिले के शाहमहीउद्दीनपुर गांव के निवासी सतेंद्र सिवाल को पूछताछ के बाद लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया।
उत्तर प्रदेश एटीएस ने एक बयान में कहा है कि सिवाल को आईएसआई के लिए काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।सतेंद्र सिवाल के खिलाफ लखनऊ के एटीएस पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता (IPS) की धारा 121ए और शासकीय गोपनीयता अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। सतेंद्र सिवाल विदेश मंत्रालय में मल्टी-टास्किंग स्टाफ (MTS) के रूप में कार्यरत था।