
केरल में चुनाव हार गईं सोनिया गांधी (फोटो- सोशल मीडिया )
Kerala local body election results: केरल के स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजे आ रहे हैं, लेकिन एक नतीजे ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। वह नाम है सोनिया गांधी। सुनकर चौंकिए मत, यह कांग्रेस वाली पूर्व अध्यक्ष नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार थीं। मुन्नार के नल्लाथन्नी वार्ड से चुनावी मैदान में उतरीं सोनिया को हार का मुंह देखना पड़ा है। उनके नाम की चर्चा तो खूब हुई और वह सुर्खियों में भी रहीं, लेकिन नतीजों ने उन्हें ही चौंका दिया। एलडीएफ की उम्मीदवार वलारमती ने उन्हें मात दे दी है।
यह हार सिर्फ एक वार्ड की हार नहीं है, बल्कि राजनीति के एक दिलचस्प अध्याय का मोड़ है। 34 वर्षीय सोनिया गांधी का मुकाबला एलडीएफ की वलारमती से था, जिन्होंने वोटों की गिनती में बढ़त बनाते हुए उन्हें पीछे छोड़ दिया। पूरे चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर लोग यही पूछते दिखे कि क्या सच में सोनिया गांधी चुनाव लड़ रही हैं। नाम की वजह से मिला यह भारी-भरकम आकर्षण वोटों में तब्दील नहीं हो पाया। यह विरासत, नाम और विचारधारा के टकराव का एक अनोखा उदाहरण बन गया, जिसकी चर्चा केरल से लेकर दिल्ली तक हुई।
सोनिया गांधी की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जिसकी रगों में कांग्रेस बसती थी। उनके पिता दिवंगत दुरैराज कांग्रेस के वरिष्ठ स्थानीय नेता थे और नल्लाथन्नी-कल्लार इलाके में पार्टी का जाना-पहचाना चेहरा थे। पार्टी अध्यक्ष के प्रति सम्मान के चलते उन्होंने अपनी बेटी का नाम सोनिया गांधी रखा। लेकिन शादी के बाद उनकी सियासी दुनिया बदल गई। उनके पति सुभाष भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता हैं और वर्तमान में पंचायत के जनरल सेक्रेटरी हैं। पति के राजनीतिक जुड़ाव के बाद सोनिया भी भाजपा में शामिल हो गईं और कमल के निशान पर चुनाव मैदान में उतरीं।
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केरल में 1199 स्थानीय निकायों के लिए हुई मतगणना को 2026 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। शुरुआती रुझानों में ग्रामीण क्षेत्रों में एलडीएफ और शहरों में यूडीएफ का दबदबा दिखा। इस बड़े सियासी शोर में मुन्नार के वार्ड नंबर 16 की यह हार भले ही एक सीट की हो, लेकिन इसने खूब सुर्खियां बटोरीं। भाजपा की सोनिया गांधी का नाम देशभर में चर्चा का विषय बना रहा, मगर अंत में जनता ने अपना फैसला एलडीएफ के हक में सुनाया। विरासत में मिला नाम उन्हें चर्चा में तो ले आया, लेकिन जीत की दहलीज तक नहीं पहुंचा सका।






