विदेश मंत्री एस. जयशंकर (फोटो- सोशल मीडिया)
Jaishankar in Parliament: संसद में ऑपरेशन सिंदूर लेकर चर्चा हो रही है। इसी बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर संसद सत्र में भाग लेते हुए विपक्ष के सवालों के जबाव दिए और स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ सीजफायर को लेकर जो दावे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कर रहे हैं वो गलत है। सीजफायर करने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।
विदेश मंत्री ने कहा हम आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर अडिग है और यही संदेश भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भी मजबूती से रखा।UNSC ने भी भारत के रुख को समर्थन दिया। उन्होंने कहा विदेश मंत्रालय की भूमिका अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की साजिशों को बेनकाब करने की थी, और हम इसमें सफल रहे।
विदेश मंत्री ने बताया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने कड़े और निर्णायक कदम उठाए। उन्होंने कहा कि जयशंकर ने बताया कि पहलगाम हमले के तुरंत बाद, 23 अप्रैल को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक बुलाई गई, जिसमें पांच अहम फैसले लिए गए। उन्होंने कहा कि ये केवल शुरुआती कदम थे और भारत की प्रतिक्रिया यहीं तक सीमित नहीं थी।
#WATCH | Speaking on Operation Sindoor in the House, EAM Dr S Jaishankar says, “…We had seven parliamentary delegations which went to 33 countries. Some comments were made about those delegations. I have to tell Arvind Savant ji that you are completely misinformed. Those… pic.twitter.com/gncIfOtgoy
— ANI (@ANI) July 28, 2025
जयशंकर ने बताया कि भारत की विदेश नीति का लक्ष्य था कि वैश्विक समुदाय को पाकिस्तान की ओर से लंबे समय से सीमा पार आतंकवाद के इस्तेमाल की सच्चाई से अवगत कराया जाए। इस कूटनीतिक प्रयास के तहत भारत ने दुनिया के सामने पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया।
उन्होंने बताया कि 9 मई को अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और आगाह किया कि पाकिस्तान एक बड़ा हमला करने की तैयारी कर रहा है। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने दो टूक कहा कि भारत पाकिस्तान को करारा जवाब देगा और भारत ने जिम्मेदारी के साथ ऐसा किया भी।
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लोकसभा में बोलते हुए जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच किसी मध्यस्थता की बात कही थी। जयशंकर ने साफ किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई मध्यस्थ नहीं था, और भारत ने हमेशा अपने हितों की रक्षा स्वयं की है।