
विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर (फोटो- @DrSJaishankar)
तियानजिन: विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने चीन में आयोजित SCO मीटिंग में पाकिस्तान पर हमला बोलते हुए आतंकवाद के विरुद्ध सख्त और अडिग रुख अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने 22 अप्रैल 2025 को भारत के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि इस हमले का मकसद जम्मू-कश्मीर की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को कमजोर करना और धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देना था।
विदेश मंत्री ने तीन बुराइयों आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद पर बात की। उन्होंने कहा, “हाल ही में, भारत में हमने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में इसका ज्वलंत उदाहरण देखा। यह जानबूझकर जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।
जयशंकर ने पहलगाम हमले पर बोलते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, जिसमें हममें से कुछ वर्तमान में सदस्य ने आतंकवाद की इस निंदनीय घटना की कड़ी निंदा करते हुए एक बयान जारी किया था। इस बयान में “आतंकवाद के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और समर्थकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने” की आवश्यकता पर बल दिया गया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत ने तब से अब तक यही रुख अपनाया है और भविष्य में भी इसी प्रतिबद्धता के साथ कार्य करता रहेगा।
Participated in the SCO Council of Foreign Ministers Meeting this evening in Tianjin. Highlighted that: ➡️ We meet at a time of considerable disorder in the international system. In the last few years, we have seen more conflicts, competition and coercion. Economic… pic.twitter.com/w8XKZ4FLe2 — Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 15, 2025
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह आवश्यक है कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) अपने संस्थापक सिद्धांतों के प्रति निष्ठावान रहे और आतंकवाद जैसी चुनौतियों के खिलाफ एक स्पष्ट और दृढ़ रुख अपनाए। जयशंकर ने यह भी रेखांकित किया कि बढ़ते वैश्विक संघर्ष, प्रतिस्पर्धा और आर्थिक अस्थिरता के इस दौर में, एससीओ सदस्य देशों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि वैश्विक व्यवस्था को स्थिर किया जा सके, जोखिमों को कम किया जा सके और उन दीर्घकालिक चुनौतियों से निपटा जा सके जो सामूहिक हितों के लिए खतरा बन रही हैं।
विदेश मंत्री ने कहा किया, “पिछले कुछ वर्षों में, हमने अधिक संघर्ष, प्रतिस्पर्धा और दबाव देखा है। आर्थिक अस्थिरता भी स्पष्ट रूप से बढ़ रही है। हमारे सामने चुनौती वैश्विक व्यवस्था को स्थिर करना, विभिन्न पहलुओं को जोखिम मुक्त करना और इन सबके माध्यम से, उन दीर्घकालिक चुनौतियों का समाधान करना है जो हमारे सामूहिक हितों के लिए खतरा हैं।”
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जयशंकर ने एससीओ के भीतर आपसी सम्मान, संप्रभु समानता और सदस्य देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के पालन पर आधारित सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने स्टार्टअप नवाचार, पारंपरिक चिकित्सा और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में भारत की पहलों का भी उल्लेख किया।
(एजेंसी इनपुट के साथ)






