राज्यसभा संसद ने कहा- हमारे मामलों में न दें दखल (कांसेप्ट फोटो सौ. सोसळ मीडिया)
इंफाल : मणिपुर से राज्यसभा सदस्य लीशेम्बा सनाजाओबा ने जातीय संघर्ष को खत्म करने के इरादे से मेइती और कुकी-जो समुदाय के लिए अलग-अलग प्रशासनिक इकाइयों की वकालत करने वाले मिजोरम के सांसद के. वनलालवेना पर निशाना साधते हुए, कहा कि उन्हें पड़ोसी राज्य के मामलों में दखल ना दे।
भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी मिजो नेशनल फ्रंट के नेता वनलालवेना ने मणिपुर में हिंसा को रोकने के लिए पहला और तत्काल कदम उठाया और एन. बीरेन सिंह सरकार को हटाने और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का आदेश दिया। हलांकि यहां जारी हिंसा के दौरान पिछले साल मई से अब तक 250 से अधिक लोगों की जान चली गई है।
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बता दें कि सनाजाओबा ने सोशल मीडिया मंच X पर रविवार को एक पोस्ट में वनलालवेना की टिप्पणी देकर एक खबर को शेयर करते हुए कहा- मेरे दोस्त सीमा पार मत करो… अपने राज्य के मुद्दों तक ही सीमित रहो… मणिपुर के मुद्दों में दखल करना बंद करो… एक अच्छे पड़ोसी की तरह रहो। साथ ही उन्होंने वनलालवेना से मणिपुर के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बंद करने का अनुरोध किया। और मिजोरम से राज्यसभा सदस्य ने मणिपुर में जातीय हिंसा को खत्म करने के लिए दो-चरणीय समाधान की मांग की है।
उन्होंने बीते शुक्रवार की रात कहा- तत्काल समाधान के लिए राष्ट्रपति शासन लागू करना जरूरी है। ऐसी अवधि के बाद केंद्र को स्थिति का गहन अध्ययन करना चाहिए। मेइती और आदिवासी समुदायों के जरिए कब्जा की गई भूमि का सीमांकन करना चाहिए। साथ ही वनलालवेना ने कहा कि दोनों समुदायों के बीच ‘बहुत बड़े’ विभाजन को देखते हुए उन्हें अलग-अलग प्रशासित किया जाना चाहिए। मेइती और कुकी-जो समुदाय के लोगों के कब्जे वाली जमीन पर नई प्रशासनिक इकाइयां बनाई जानी चाहिए ताकि स्थायी समाधान निकाला जा सके और संघर्ष को समाप्त किया जा सके।