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पुणे: ‘सार्वजनिक गणेशोत्सव’ का हर साल हर्षोल्लास से आयोजन करने वाले पुणे शहर के गणेश मंडलों ने अपने इस उल्लास और उत्साह का जम्मू-कश्मीर में लगातार दूसरे साल विस्तार करने के प्रयास के तहत श्रीनगर, अनंतनाग और कुपवाड़ा में भगवान गणेश की तीन मूर्तियां भेजी हैं। आयोजकों ने बताया कि ‘‘ढोल ताशों” जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की थाप के बीच पिछले सप्ताह ताम्बडी जोगेश्वरी, गुरुजी तालीम और तुलसीबाग गणेश की प्रतिकृतियां श्रीनगर, कुपवाड़ा और अनंतनाग में मंडलों के अधिकारियों को सौंपी गईं।
आयोजकों के मुताबिक, पुणे के सात प्रमुख गणेश मंडलों की पहल पर श्रीनगर, अनंतनाग और कुपवाड़ा में सार्वजनिक उत्सव मनाया जाएगा। दस दिवसीय उत्सव की शुरुआत सात सितंबर को गणेश चतुर्थी से होगी। एक आयोजक ने कहा, ‘‘ताम्बडी जोगेश्वरी गणेश मंडल से दूसरे ‘मनाचा’ (पूज्य) गणपति की प्रतिकृति श्रीनगर के लाल चौक के गणपतयार न्यास को दी गई। गुरुजी तालीम गणेश मंडल से तीसरे ‘मनाचा’ गणपति की प्रतिकृति कुपवाड़ा गणेश मंडल को सौंपी गई, जबकि तुलसीबाग गणेश मंडल से चौथे ‘मनाचा’ गणपति की प्रतिकृति दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग गणेश मंडल को दी गई।”
#WATCH | Pune, Maharashtra: Sandeep Raina, a Kashmiri Pandit says, “… Following our customs, we have been celebrating Janmashtami and Shivratri in the valley for over 14 years now… After nearly four decades, Ganpati Visarjan was organised in Kashmir. This time we are… pic.twitter.com/5rDICFyH0o
— ANI (@ANI) August 31, 2024
गणेशोत्सव को जम्मू-कश्मीर में ले जाने की इस पहल का नेतृत्व भाऊसाहेब रंगारी गणेश मंडल के उत्सव प्रमुख और न्यासी पुनीत बालन ने छह अन्य प्रमुख गणेश मंडलों-कस्बा गणपति मंडल, ताम्बडी जोगेश्वरी गणेश मंडल, गुरुजी तालीम गणेश मंडल, तुलसीबाग गणेश मंडल, केसरीवाड़ा गणेश मंडल और अखिल मंडई गणेश मंडल के साथ मिलकर किया।
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बालन ने बताया कि पिछले वर्ष पुणे की पहली ‘मनाचा’ मूर्ति-कस्बा गणपति की प्रतिकृति घाटी में भेजी गई थी और इसे डेढ़ दिन के लिए श्रीनगर के लाल चौक स्थित गणपतियार मंदिर में स्थापित किया गया था। कस्बा गणपति को ‘ग्राम दैवत’ के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘शुरू में लोग (इस पहल को लेकर) संशय में थे और आलोचना भी कर रहे थे, लेकिन हमने जम्मू-कश्मीर में सफलतापूर्वक उत्सव मनाया। इस साल हमें अनंतनाग और कुपवाड़ा से अनुरोध प्राप्त हुए, इसलिए इस बार वहां तीन प्रतिकृतियां भेजी गई हैं। वहां के मंडलों के सदस्य मूर्तियां लेने पुणे आए थे। अनंतनाग और कुपवाड़ा में उत्सव पांच दिनों तक आयोजित होगा।”
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बालन ने उम्मीद जताई कि इन उत्सवों का घाटी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और वहां शांति आएगी। उन्होंने बताया कि घाटी में दशहरा, नवरात्रि और दिवाली जैसे अन्य त्योहारों के आयोजन की भी योजना है। श्रीनगर में गणेश मंडल के सदस्य संदीप कौल ने बताया कि कश्मीर घाटी में पिछले साल 35 साल बाद गणेशोत्सव मनाया गया था। कश्मीर के एक युवक संदीप रैना ने कहा कि कभी आतंकवाद के लिए जाना जाने वाला यह अशांत क्षेत्र अब बदल रहा है और मुस्लिम एवं हिंदू समुदाय दोनों गणेशोत्सव पहल का समर्थन कर रहे हैं।