इंजीनियर राशिद, फोटो - मीडिया गैलरी
नई दिल्ली : दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने शुक्रवार, 21 मार्च 2025 को बारामूला के सांसद इंजीनियर राशिद की जमानत याचिका खारिज कर दी। बता दें, यह मामला एक आतंकी फंडिंग केस से जुड़ा है। उनकी अंतरिम जमानत की अर्जी अभी हाई कोर्ट में 25 मार्च को सुनवाई के लिए लंबित है। विशेष जज चंद्र जीत सिंह ने उनकी जमानत को ठुकरा दिया। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने कई कारणों से इस जमानत का विरोध किया था।
इंजीनियर राशिद की जमानत याचिका सितंबर 2024 से कोर्ट में लंबित थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 24 फरवरी को ट्रायल कोर्ट को जल्दी फैसला लेने का निर्देश दिया था। 10 मार्च को राशिद ने संसद में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत या कस्टडी पैरोल मांगी थी, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद वे हाई कोर्ट गए। पहले ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि उनके पास सांसदों और विधायकों के मामले सुनने का अधिकार नहीं है, इसलिए वे जमानत पर फैसला नहीं ले सकते।
हाई कोर्ट के जज विकास महाजन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि एनआईए कोर्ट ही इस मामले को सुन सकती है। इसके बाद हाई कोर्ट ने एक प्रशासनिक आदेश जारी किया कि पटियाला हाउस की एनआईए कोर्ट ही सुनवाई करेगी। फिर वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने हाई कोर्ट से जमानत याचिका ली। उन्होंने बताया कि राशिद की जमानत पिछले साल सितंबर से लंबित थी।
राशिद ने हाई कोर्ट में कहा था कि एनआईए कोर्ट ने उनकी जमानत पर फैसला नहीं लिया, क्योंकि उनके सांसद बनने के बाद मामला अनसुलझा छोड़ दिया गया था। हाई कोर्ट ने पहले उन्हें संसद सत्र में शामिल होने के लिए 11 और 13 फरवरी को दो दिन की कस्टडी पैरोल दी थी। राशिद अभी दिल्ली के तिहाड़ जेल में हैं।
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इंजीनियर राशिद को अगस्त 2019 में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था। जेल में रहते हुए उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन भरा और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को 2,04,000 वोटों से हराया। 23 दिसंबर को विशेष जज चंद्र जीत सिंह ने कहा था कि उनके पास केवल छोटी अर्जियों पर फैसला लेने का अधिकार है, जमानत पर नहीं। अब सबकी नजर हाई कोर्ट के 25 मार्च के फैसले पर है।