
डीके शिवकुमार, मल्लिकार्जुन खड़गे और सिद्धारमैया (फोटो-सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः बेंगलुरू भगदड़ पर राजनीतिक गरमा-गरमी चालू ही थी कि अचानक कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार दिल्ली निकल गए थे। इस मामले पर राज्य के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और कर्नाटक के गृहमंत्री से सवाल पूछ गया तो उन्होंने कन्नी काट ली। अब सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के दिल्ली दौरे का कारण पता चल गया है। दोनों नेताओं को कांग्रेस आलाकमान ने तलब किया था।
कांग्रेस आलाकमान कर्नाटक में कराए गए जातीय सर्वे की रिपोर्ट से खुश नहीं है। इसको लेकर सिद्धारमैया और डीके के साथ मंगलवार को कांग्रेस नेतृत्व ने बैठक की। बैठक में कर्नाटक में दोबारा जातीय सर्वे कराने का निर्देश दिया गया है। हाई कमान ने ये आदेश 10 साल पुराने सर्वेक्षण पर आधारित रिपोर्ट के निष्कर्षों के दो महीने बाद दिया है, जिससे पार्टी में दरार पैदा हो गई है। राजनीतिक रूप से प्रभावशाली वोक्कालिंगा और लिंगायत समुदायों के अलावा गैर-कुरुबा पिछड़े वर्गों की ओर से इसकी आलोचना की गई है।
दिल्ली में कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व की बैठक के दौरान कर्नाटक में जातीय सर्वे दोबारा करने के निर्देश के अलावा बेंगलुरु भगदड़ पर भी चर्चा हुई। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, एआईसीसी महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल और एआईसीसी महासचिव और कर्नाटक के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला, कर्नाटक सीएम और डिप्टी सीएम मौजूर रहे।
सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार आलाकमान की फटकार
जानकारी के मुताबिक जातीय सर्वे की माथापच्ची के बाद कांग्रेस हाईकमान ने कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार से भगदड़ के को लेकर कई सवाल पूछे। इस दौरान 11 लोगों की मौत पर दुख व्यक्त करते राहुल गांधी और खड़गे ने सीएम और डिप्टी सीएम को फटकार लगाई है। इसके साथ ही हाल ही में कर्नाटक सरकार द्वारा प्रकाशित जातीय सर्वे पर सरकार की आधिकारिक मुहर लगाने पर आलाकमान ने रोक लगा दी। तेलंगाना का उदाहरण देते हुए निर्देश दिए हैं कि एक से दो महीने के अंदर जातीय सर्वे की त्रुटियों को सुधार कर प्रकाशित करें और राजनीतिक घमासान को शांत करें।
वोक्कालिगा और लिंगायत क्यों हैं नाराज?
सर्वे रिपोर्ट डेटा और सिफारिशें कर्नाटक पिछड़ा आयोग द्वारा 2024 में प्रस्तुत की गईं, लेकिन इसकी सिफारिशें और जनसंख्या के आंकड़े प्रस्तुत करते ही सवालों के घेरे में आ गए। इसमें संख्या को कम बताना और सबसे पिछड़ा वर्ग के रूप में चिन्हित करने को लेकर आपत्तियां थीं। वोक्कालिगा और लिंगायत दोनों संगठनों ने दोबारा सर्वे की मांग की है। क्योंकि उनकी आबादी क्रमशः 10% से थोड़ी अधिक और 11% के करीब पाई गई है, जो अब तक के अनुमान से काफी कम है। वोक्कालिगा (शिवकुमार उनमें से एक हैं) और लिंगायत समुदाय को वर्तमान में ओबीसी कोटे के III A और III B श्रेणी में रखा गया है।
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कुरुबा समुदाय को लेकर भी है विवाद?
गैर-कुरुबा पिछड़े वर्गों ने भी इस सिफारिश पर आपत्ति जताई है। कुरुबा एक ऐसा समुदाय है, जो कि सीएमर सिद्धारमैया से संबंधित हैं। कुरुबा ‘अधिक पिछड़े’ से ‘सबसे पिछड़े’ वर्ग में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। राज्य में पिछड़े वर्गों की कुल आबादी 70% के बराबर होने का अनुमान है, कांग्रेस सहित गैर-कुरुबा नेताओं ने यह आशंका व्यक्त की है कि ओबीसी आरक्षण का लाभ कुरुबा द्वारा छीन लिया जाएगा।






