असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (फोटो- सोशल मीडिया)
उदलगुड़ी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को कांग्रेस के खिलाफ जमकर हमला बोला। बिस्वा ने कहा कि कांग्रेस को मुसलमानों के खिलाफ बोलने के लिए 7 जन्म लेना पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस में कुर्बानी के दौरान मुसलमानों द्वारा गोकसी किए जाने और धार्मिक स्थलों के निकट कथित तौर पर गोमांस फेंके जाने के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं है।
सरमा ने एक बैठक में कहा कि भाजपा एकमात्र पार्टी है जो मुस्लिम समुदाय से गायों को छोड़कर अन्य जानवरों की ‘कुर्बानी’ करने का अनुरोध कर सकती है। मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर हमला करते हुए पूछा कि “क्या कांग्रेस ऐसा कर सकती है? उसे यह बात कहने के लिए सात बार जन्म लेना पड़ेगा। तो गायों का हितैषी कौन है?” उन्होंने यह सवाल भी किया कि क्या कांग्रेस ने दुकानों में खुलेआम गोमांस बेचने और नामघर के सामने मांस फेंके जाने का कभी विरोध किया है।
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “क्या कांग्रेस ने धुबरी की घटना की निंदा की है? या वह हाजो मामले की निंदा करेगी, जिसमें आज गोमांस पाया गया? क्या उसे मृत गायों के बारे में नहीं बोलना चाहिए, ताकि पता चल सके कि उन्हें किसने मारा? कांग्रेस उलटे क्रम में काम करती है। जहां उसे बोलना चाहिए, वहां वह चुप रहती है।” पुलिस के अनुसार, पिछले महीने ईद के दौरान गोमांस के टुकड़े फेंकने के आरोप में धुबरी, होजई, ग्वालपाड़ा और लखीमपुर जिलों में करीब 80 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बृहस्पतिवार को कामरूप जिले के हाजो में भी मांस के कुछ टुकड़े पाए गए, जिनके गोमांस होने का संदेह है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “विपक्षी दल वहां आवाज नहीं उठाते जहां उन्हें आवाज उठानी चाहिए। असम में ‘कुर्बानी’ के लिए हजारों गायों को मार दिया जाता है। सरमा ने दरांग जिले के सिपाझार में गोरुखुटी बहुउद्देशीय कृषि परियोजना के संबंध में भ्रष्टाचार के आरोपों को बार-बार उठाने को लेकर भी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की आलोचना की।
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उन्होंने कहा, “कांग्रेस का उद्देश्य गोरुखुटी परियोजना को बंद कराना और बेदखल किए गए अतिक्रमणकारियों को उसी भूमि पर वापस लाना है। अब गोरुखुटी के लोगों ने इस क्षेत्र में किसी को भी नहीं आने देने का संकल्प कर लिया है। लोगों ने कांग्रेस को जवाब दे दिया है।” गोरुखुटी परियोजना की शुरुआत 2021 में कथित अतिक्रमणकारियों से 77,420 बीघा जमीन खाली कराने के लिए बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान के बाद की गई थी, जिनमें ज्यादातर बंगाली भाषी मुसलमान शामिल थे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)