मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह
इंफाल: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य में छह महीने में शांति और सुलह होने का भरोसा जताते हुए कहा कि उन्होंने कुकी और मेइती समुदाय के बीच सुलह कराने के लिए दूत नियुक्त किया है। इस बाबत मुख्यमंत्री सिंह ने अपनी शांति योजना के बारे में बताते हुए कहा कि, ”हिंसा नहीं, संवाद ही एकमात्र रास्ता है।” राज्य में अशांति को लेकर विपक्ष द्वारा की जा रही मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग पर उन्होंने कहा, ”मुझे इस्तीफा क्यों देना चहिए? मैं कोई चोर नहीं हूं, कोई घोटाला नहीं हुआ है।”
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में पिछले साल तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
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इसी के साथ मुख्यमंत्री सिंह ने मेइती समर्थक मिलिशिया को पीछे हटने की चेतावनी दी और कहा कि वह राष्ट्र विरोधी, सांप्रदायिक कृत्यों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा, ” पहाड़ी क्षेत्र में अलग कुकी प्रशासन का कोई सवाल ही नहीं है।” पूर्वोत्तर राज्य की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 % है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
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जानकारी दें कि राजधानी इंफाल से शुरू हुई जातीय हिंसा जंगल की आग की तरह कुछ घंटों के भीतर ही पूरे राज्य में फैल गई थी। सरकारी आंकड़ों की मानें तो इस हिंसा में दोनों तबकों के 227 लोगों की मौत हो गई और करीब 70 हजार लोग विस्थापित हो गए थे। इनमें से अब करीब 59 हजार लोग अपने परिवार या परिवार के बचे-खुचे लोगों के साथ साल भर से राज्य के विभिन्न स्थानों पर बने राहत शिविरों में रह रहे हैं। वहीं कुछ लोगों ने पड़ोसी मिजोरम में शरण ले रखी है। इस हिंसा से प्रभावित लोगों के जख्म अब नासूर बन चुके हैं। मणिपुर में जारी हिंसा में अब तक पुलिस और सुरक्षाबलों के कई जवान भी मारे गए हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)