
सुप्रीम कोर्ट,( सोर्स- सोशल मीडिया)
Supreme Court On Digital Arrest: देश भर में डिजिटल अरेस्ट के नाम पर बहुत सारे फ्रॉड हुए हैं। कभी दारोगा, कभी कमिश्नर तो कभी सीबीआई, ईडी जैसी एजेंसियों के नाम पर डराकर लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने की धमकियां दी गई हैं और उससे बचाने के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये ट्रांसफर करा लिए गए। ऐसे मामलों को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट सख्त हुआ है और उसने सीबीआई से ऐसे सारे मामलों की जांच करने का आदेश दिया है।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि एजेंसी देश भर में हुए डिजिटल फ्रॉड के केसों की जांच करे। यही नहीं अदालत ने एजेंसी को बैंकों की भूमिका की जांच करनी होगी। इसके लिए एजेंसी को फ्रीहैंड है।
कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि देश के सभी राज्य, चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो, CBI को इस जांच के लिए तुरंत मंजूरी दें। अदालत ने माना कि इतने बड़े नेटवर्क वाले फ्रॉड को रोकने के लिए एक ही एजेंसी द्वारा केन्द्रित तरीके से जांच करना सबसे जरूरी है। सर्वोच्च न्यायालय ने CBI को यह भी छूट दी है कि अगर किसी बैंक ने गलत तरीके से अकाउंट खोलने दिए, जिनका इस्तेमाल इस फ्रॉड में हुआ, तो उन बैंकरों की जांच भी हो सकती है।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम फोन कॉल, वीडियो कॉल और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के जरिए चलता है। इसलिए कोर्ट ने Meta, Google और बाकी सोशल मीडिया कंपनियों को साफ कहा है कि CBI को हर जरूरी डेटा, जानकारी और तकनीकी मदद तुरंत उपलब्ध कराई जाए। कोर्ट ने ये भी माना कि स्कैमर्स आमतौर पर खुद को पुलिस, एजेंसी या सरकारी अफसर बताकर डर फैलाते हैं, और लोग डरकर पैसे भेज देते हैं। इसलिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का सहयोग जरूरी है।
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सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अगर जांच में पता चले कि यह गैंग भारत के बाहर से ऑपरेट हो रहा है, या विदेशों में पैसे भेजे जा रहे हैं, तो CBI इंटरपोल की मदद ले सकती है। दोनों देशों की एजेंसियों के बीच तालमेल बैठाकर कार्रवाई की जा सकेगी, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले नेटवर्क को खत्म किया जा सके।






