ब्रिटिश F-35B जेट (फोटो-सोशल मीडिया)
केरलः ब्रिटिश रॉयल नेवी के F-35B लड़ाकू विमान ने आखिरकार भारत से एक महीने 8 दिन बाद उड़ान भरी। इस विमान की 14 जून को केरल के तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिग हुई थी। जानकारी के अनुसार पायलटों ने तकनीकी समस्या के चलते तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर लैंडिंग का फैसला लिया था। लैंडिग के दो सप्ताह तक भारतीय इंजीनियर्स ने लड़ाकू विमान की तकनीकी समस्या को खत्म करने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। एक सप्ताह तक खुले में यह फाइटर जेट पड़ा रहा। इसके बाद विमान को हैंगर में ले जाया गया था।
हवाई अड्डे के सूत्रों ने बताया कि मंगलवार सुबह 10.15 बजे उड़ान भरने वाला यह विमान उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के डार्विन जा रहा है। वहीं एक अधिकारी ने बताया इस विमान की पार्किंग और रखरखाव के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ने 5 लाख रुपये लिए हैं।
बता दें कि भारत की इंजीनियर जब इस विमान की तकनीकी समस्या को नहीं खत्म कर पाई तो ब्रिटेन से इंजीनियर्स की एक टीम आई थी। इस टीम ने 15 दिन की मशक्कत के बाद विमान को उड़ने लायक बनाया। इसके बाद आज केरल से यह विमान डार्विन के लिए रवाना हुआ।
पायलट ने भारतीय अधिकारियों का आभार जताया
अधिकारी ने कहा कि ब्रिटेन की इंजीनियरिंग टीम अभी भी यहां है। ये टीम बुधवार को वापिस जाएगी। वहीं लड़ाकू विमान का पायलट मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद रविवार को तिरुवनंतपुर पहुंचा था। हवाई अड्डे ने पार्किंग और लैंडिंग के लिए लगभग 5 लाख रुपये लिए हैं। पायलट ने सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए हवाई अड्डे के कर्मचारियों का विशेष रूप से धन्यवाद किया। हवाई अड्डे पर रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) सुविधा का उपयोग करने का शुल्क एयर इंडिया द्वारा नियमों के अनुसार तय किया जाएगा।
14 जून को लैंड हुआ था लड़ाकू विमान
रॉयल नेवी के विमानवाहक पोत एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स के इस लड़ाकू विमान ने 14 जून को तिरुवनंतपुरम में आपातकालीन लैंडिंग की थी, जब यह भारतीय वायु रक्षा पहचान क्षेत्र के बाहर एक नियमित उड़ान भर रहा था। तिरुवनंतपुरम को इस उड़ान के लिए आपातकालीन रिकवरी हवाई क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया था, जिसका अर्थ है कि उड़ान के दौरान किसी भी आपात स्थिति में यह वहां उतर सकता है।
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6 जुलाई को ब्रिटिश सकार ने भारत से किया था संपर्क
भारतीय वायु सेना को हवाई अभियानों की निगरानी और मैनेज करने वाले कमांड और कंट्रोल सेंटर ने ब्रिटिश लड़ाकू विमान का पता लगाया और आपात स्थिति के कारण विमान को डायवर्ट किए जाने के बाद उसे उतरने की अनुमति दी थी। 6 जुलाई को, ब्रिटेन की सरकार द्वारा हवाई अड्डे के एमआरओ केंद्र में जगह देने की पेशकश स्वीकार करने के बाद, ब्रिटेन से 14 सदस्यीय इंजीनियरिंग टीम तिरुवनंतपुरम पहुंची थी। इंजीनियरिंग टीम अभी भी तिरुवनंतपुरम में डेरा डाले हुए है और बुधवार को वापस उड़ान भरेगी।