Italian Prime Minister Georgia Meloni
नई दिल्ली: भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित G20 समिट के समापन के बाद से BRI की चर्चा खूब हो रही है। क्यों हो रही है? आइये जानते हैं… दरअसल, G20 समिट में शामिल इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी (Georgia Meloni) ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को छोड़ने के संकेत दिए हैं। जॉर्जिया मेलोनी ने 10 सितंबर को नई दिल्ली में G20 समिट के इतर चीन के प्रधानमंत्री के साथ बैठक भी कीं। उन्होंने कहा कि BRI को छोड़ने से चीन (China) के साथ संबंधों में कोई समझौता नहीं होगा, लेकिन निर्णय अभी भी लिया जाना बाकी है।
मेलोनी को मनाने पहुंचे चीनी पीएम
G20 समिट के मौके पर ली-मेलोनी की बैठक इसलिए महत्वपूर्ण रही क्योंकि इतालवी सरकार ने खुले तौर पर BRI से हटने की इच्छा जताई है। इटली ने कहा है कि चीन की अरबों डॉलर की बुनियादी ढांचा परियोजना से उसे कोई लाभ नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि अगर इटली BRI से बाहर निकलता है, तो दूसरे देश भी इस बारे सोच सकते हैं। ऐसे में चीन की कोशिश है कि इटली को किसी तरह मनाया जाए। चीन में अगले महीने बीजिंग में BRI के तीसरे सम्मेलन की घोषणा की है।
BRI क्या है और चीन के लिए क्या महत्व रखता है। हम इसके बारे में जानते हैं…
क्या है BRI?
BRI यानी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव। इसे सिल्क रोड के नाम से भी जाना जाता है। बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी योजना है जिसकी शुरुआत 2013 में हुई थी। इसका मकसद कई देशों को सड़कों, रेलवे और पोर्ट्स के साथ जोड़ना है। चीनी राष्ट्रपति BRI के जरिए चीन को व्यापार के लिए एशिया, यूरोप और अफ्रीका से जोड़ना चाहते हैं।
बेल्ट रोड इनिशिएटिव (BRI)
BRI के चलते चीन की क्या है प्लान?
अब ऐसे में अगर इटली BRI से अलग हो जाएगा। तो इटली के राह पर चलकर और भी देश BRI से किनारा कर सकते हैं। इससे चीन के महत्वाकांक्षा प्रोजेक्ट BRI कमजोर पड़ सकती है, जो कि सीधे तौर पर चीन विस्तारवादी नीति को प्रभावित करेगी। ऐसे में अगर BRI कमजोर पड़ता है तो इसका सीधा फायदा भारत देश को होगी। क्योंकि भारत के साथ चीन का कोई भू-सीमा विवाद होता है तो चीन ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ता जिसे भारत को परेशानी न होती हो।