कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
New BJP President: भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष का ऐलान बहुत जल्द होने की उम्मीद है। अभी के प्रेसिडेंट जे.पी. नड्डा का टर्म पहले ही पूरा हो चुका है और उनका टर्म कई बार बढ़ाया जा चुका है। हो सकता है कि यह ऐलान 15 दिसंबर 2025 से पहले हो जाए। कहा जा रहा है कि खरमास शुरू होने से पहले यह फैसला हो जाएगा।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि खरमास के दौरान शुभ काम नहीं किए जाते, इसलिए उम्मीद है कि दस दिनों के अंदर नाम का ऐलान हो जाएगा। ऐसे में माना जा रहा है कि हिंदुत्ववादी एजेंडे वाली पार्टी भाजपा, खरमास के दौरान इतना बड़ा फैसला नहीं लेगी।
3 दिसंबर को पार्लियामेंट हाउस में पीएम मोदी, अमित शाह, जे.पी. नड्डा और ऑर्गनाइजेशन जनरल सेक्रेटरी बी.एल. संतोष के बीच मीटिंग हुई थी। खबर है कि इस मीटिंग में नए प्रेसिडेंट, यूपी यूनिट चीफ और यूनियन कैबिनेट में फेरबदल पर चर्चा हुई। इस बारे में 1 दिसंबर को राजनाथ सिंह के घर पर धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, मनोहर लाल खट्टर और दूसरे लोगों के साथ एक मीटिंग भी हुई थी।
इसके बाद यह भरोसा और पक्का हो गया कि इनमें से किसी एक कैंडिडेट को अध्यक्ष का ताज पहनाया जा सकता है। हालांकि यह सब अंदाज़ा है। इसमें कोई शक नहीं कि भाजपा में जिन नामों पर बात होती है, उन्हें कभी वह पद हासिल नहीं होता है। इसलिए एक बार फिर वाइल्डकार्ड एंट्री की बात हो रही है।
पीएम मोदी, अमित शाह व जेपी नड्डा (सोर्स- सोशल मीडिया)
जितनी कयासबाजियां होगीं, उतनी ही ज़्यादा संभावना है कि फैसला किसी बाहर के व्यक्ति के पक्ष में जाएगा। 2009 में नितिन गडकरी का प्रेसिडेंट बनना मोहन भागवत के फैसले का एक बड़ा उदाहरण है। मोहन भागवत और मोदी दोनों ही अक्सर साफ मेरिट या लॉजिक पर भरोसा नहीं करते। वे चुनाव के बजाय आम सहमति को ज्यादा पसंद करते हैं।
अगर हम भाजपा के करीबी पत्रकारों, भाजपा की अंदरूनी पॉलिटिक्स और संघ और भाजपा में बराबर पॉपुलैरिटी जैसे फैक्टर्स को कैलकुलेट करें, तो केशव प्रसाद मौर्य और धर्मेंद्र प्रधान सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं। भूपेंद्र यादव भी रेस में हैं। शिवराज सिंह चौहान, विनोद तावड़े और सी.आर. पाटिल जैसे कई और नामों पर भी चर्चा हो रही है।
मौर्य उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम हैं। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान वे प्रदेश अध्यक्ष थे। उनके लीडरशिप में भाजपा ने यूपी में बड़ी जीत हासिल की थी। वे सीएम पोस्ट के दावेदार थे, लेकिन उनकी जगह योगी आदित्यनाथ को सीएम बना दिया गया। तब से ही वे ऊंचे पद की बाट जोह रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह से उनकी करीबी जगजाहिर है।
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सबसे बढ़कर वे भाजपा के लिए एक ज़रूरत हैं। आने वाले समय में भाजपा का सबसे बड़ा काम 2027 का यूपी विधानसभा जीतना है। अगर भाजपा यूपी हार जाती है तो 2029 के आम चुनाव साफ तौर पर मुश्किल हो जाएंगे। जिस तरह से भाजपा उत्तर प्रदेश में लगातार अपना असर खो रही है, उससे लगता है कि केशव प्रसाद मौर्य की ताजपोशी हो सकती है।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी भाजपा प्रेसिडेंट बनने की रेस में हैं। यादव को अमित शाह का करीबी माना जाता है और उन्हें पार्टी के ऑर्गेनाइजेशनल स्ट्रक्चर का गहरा अनुभव है। राजस्थान से उनका ओबीसी यादव बैकग्राउंड एक सोशल बैलेंस दिखाता है, जो यूपी और बिहार जैसे राज्यों में यादव वोटों पर असर डाल सकता है।
अमित शाह व केशव प्रसाद मौर्य (सोर्स- सोशल मीडिया)
एक रीजनल इलेक्शन मैनेजर के तौर पर उनका कौशल साबित हो चुका है। उन्होंने दिल्ली और दूसरे राज्यों में भाजपा की जीत में योगदान दिया। उन्हें संघ और पार्टी दोनों का भरोसा हासिल है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी भाजपा अध्यक्ष पद के मजबूत दावेदार हैं, क्योंकि पार्टी ने उनकी सांगठनिक काबिलियत और इलेक्शन मैनेजमेंट स्किल्स को एक बार नहीं बल्कि कई बार देखा है।
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हाल ही में वह बिहार असेंबली इलेक्शन में पार्टी की जीत की रीढ़ थे। ओडिशा में ओबीसी बैकग्राउंड से आने वाले प्रधान पूर्वी भारत में पार्टी को मजबूत करेंगे, जहां भाजपा का विस्तार जरूरी है। ऐसे में उनके करीबी विश्वासपात्र, संघ और मोदी-शाह के साथ मिलकर आम सहमति से उनका चुनाव कर सकते हैं।