बिहार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की जांच कर सकता है चुनाव आयोग
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग मतदाता सूची को दुरुस्त और पारदर्शी बनाने के लिए घर-घर जाकर वोटर सत्यापन की योजना पर गंभीरता से विचार कर रहा है। यह पहल उन आशंकाओं को दूर करने की कोशिश मानी जा रही है, जिनमें आरोप लगे हैं कि वोटर लिस्ट से नाम जानबूझकर हटाए या गलत तरीके से जोड़े गए हैं। चुनाव आयोग का लक्ष्य है कि हर योग्य नागरिक को निष्पक्ष मतदान का अधिकार सुनिश्चित हो।
वोटर लिस्ट से नाम कटने और फर्जी नाम जुड़ने की शिकायतें कई बार सामने आ चुकी हैं, जिससे चुनाव की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हुए हैं। कांग्रेस, राजद और अन्य दलों ने चुनाव आयोग पर सत्तारूढ़ दल को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था। इन आरोपों पर सफाई देते हुए चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि वोटर लिस्ट बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह तय प्रोटोकॉल और राजनीतिक दलों की निगरानी में की जाती है।
कैसे काम करेगी घर-घर सत्यापन योजना?
चुनाव आयोग की योजना के अनुसार, हर घर जाकर मतदाता का नाम, पता, उम्र, फोटो और दस्तावेजों की जांच की जाएगी। जिन मतदाताओं का नाम गलत तरीके से जोड़ा गया है या जिनके नाम हटाए गए हैं, उन्हें सही किया जाएगा। साथ ही जो नए मतदाता 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं, उन्हें सूची में जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही मृत या स्थानांतरित लोगों के नाम हटा दिए जाएंगे ताकि फर्जी मतदान की संभावना खत्म हो सके।
चुनावी गर्मी के बीच लिस्ट पर निगाह
बिहार में वर्ष 2025 के अंत तक विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। सत्तारूढ़ एनडीए (जिसमें जदयू, भाजपा और हम पार्टी शामिल हैं) और विपक्षी गठबंधन (राजद, कांग्रेस और वाम दल) के बीच राजनीतिक टकराव लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में वोटर लिस्ट की निष्पक्षता को लेकर बहस और भी अहम हो जाती है। जानकार मानते हैं कि घर-घर सत्यापन का यह प्रस्ताव राजनीतिक दलों और जनता दोनों के बीच भरोसे को मजबूत कर सकता है।
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चुनाव आयोग की इस पहल को राजनीतिक विश्लेषकों ने स्वागतयोग्य बताया है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता और समयसीमा में पूरा करना जरूरी होगा, ताकि मतदाता भ्रम और असंतोष से दूर रहें।