कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान आज छह राज्यों के किसानों के साथ अहम बैठक करने वाले हैं। इस दौरान कृषि मंत्री ने किसानों को सिंधु जल समझौते से जुड़े विवाद और भारत के लगाए प्रतिबंध से होने वाले लाभ के बारे में बताएंगे।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार ने पाकिस्तान पर सख्त कार्रवाई करते हुए सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया था। आज (19 मई) को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान उत्तर भारत के किसान संगठनों और प्रतिनिधियों से भी चर्चा करेंगे। इस संवाद में सिंधु नदी के पानी का लाभ लेने वाले राज्यों हिमाचल, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
जानकारी के मुताबिक बैठक में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान किसानों को बताएंगे कि किस तरह से सरकार का यह फैसला उनके भले के लिए और उनके भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए लिया गया है। इसके अलावा चौहान कांग्रेस सरकारों के गलत निर्णयों से उत्तर भारत के किसानों को हुए नुकसान के बारे में भी किसानों को बताएंगे। साथ ही साथ सिंधु जल समझौते के कारण भारत को अभी तक हुए नुकसान पर भी चर्चा की जाएगी।
सिंधु जल संधि साझा बेसिन में करीब 80 प्रतिशत जल प्रवाह को नियंत्रित करती है। भारत और पाकिस्तान के बीच यह संधि 1960 में हुई थी। इस संधि की मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी। इस संधि को दुनिया के सबसे टिकाऊ सीमा-पार जल समझौतों में से एक माना जाता है। यह संधि सिंधु बेसिन की छह नदियों को दोनों देशों के बीच बांटती है।
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समझौते के मुताबिक भारत को तीन पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलुज पर पूरा नियंत्रण हासिल है, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब पर अधिकार प्राप्त है। पाकिस्तान में बहने वाली तीन नदियां साझा बेसिन के पानी का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा हैं।इस समझौते के हिसाब से भारत को पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी का उपयोग जलविद्युत उत्पादन और सिंचाई के लिए करने की अनुमति है, लेकिन वह ऐसी कोई बांध या कोई संरचना नहीं बना सकता जो इन नदियों के बहाव को मोड़ दे या प्रभावित कर सकती हो।