कैंसर को पहली स्टेज में क्यों नहीं पहचान सकते (सौ. सोशल मीडिया)
Stage 1 Cancer: दुनियाभर की गंभीर बीमारियों में से एक कैंसर है जिसके मरीज हर साल बड़ी संख्या में मिलते है। इस कैंसर जैसी बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए विशेषज्ञ लगातार प्रयास कर रहे है। कैंसर के इलाज के लिए तकनीकें और थेरेपी मौजूद है जो इस इस बीमारी के खतरे को टालती है। अक्सर कैंसर की पहचान सही समय पर नहीं हो पाती है इस वजह से कैंसर दूसरे और तीसरे चरणों में पहुंच जाता है।
तीसरी और चौथी स्टेज में कैंसर पहुंचने से शरीर पर इसका बुरा असर पड़ता है। कई बार इलाज मिलने के बाद भी मरीज की जान चली जाती है। यहां पर हम बात करेंगे, कैंसर की स्टेज 1 क्या होती है और पहली स्टेज में ही कैंसर क्यों नहीं आता है नजर में।
यह कैंसर की शुरुआती स्टेज है जिसमें कैंसर, एक बहुत छोटे ट्यूमर के रूप में होता है जो किसी तरह से खतरनाक नहीं होता है। यहां पर कैंसर एक ही क्षेत्र तक सीमित रहता है, और लिम्फ नोड्स या शरीर के अन्य भागों में नहीं फैला होता। भले ही कैंसर फैल जाए या ठीक हो जाए, फिर भी उसे उसी स्टेज से पहचाना जाएगा जिस स्टेज पर उसका निदान हुआ था। एक ही स्टेज के कैंसर का इलाज अक्सर एक जैसा ही होता है। उदाहरण के लिए, स्टेज 1 कैंसर के इलाज में आमतौर पर सर्जरी शामिल होती है।
बताया जाता है कि, स्टेज 1 कैंसर काफी छोटा होता है यह किस तरह से फैला है इसके स्टेजिंग और ग्रेडिंग सिस्टम काम करता है।कैंसर के चरण निर्धारण से यह निर्धारित होता है कि यह किस हद तक बढ़ गया है और शरीर में इसकी स्थिति क्या है। यहां पर कैंसर किस लेवल तक पहुंच चुका है इसके बारे पता लगाने के लिए TNM प्रणाली का उपयोग किया जाता है। दरअसल कैंसर में प्रभावित ऊतकों या कोशिकाओं का प्रकार संभावना यह है कि सर्जरी से ट्यूमर का कुछ भाग या पूरा भाग हटाया जा सकता है।यह तब होता है जब कैंसर शरीर में विकसित होता है, लेकिन दूर के क्षेत्रों में नहीं फैला होता है और आस-पास के ऊतकों में गहराई तक नहीं बढ़ा होता है। स्टेज 1 कैंसर से पीड़ित कई रोगी कई वर्षों तक जीवित रहते हैं, बशर्ते कैंसर का उपचार और प्रबंधन किया जाता रहे।
जैसा कि, हमने जाना कैंसर की पहली स्टेज में कैंसर एक छोटे ट्यूमर में होता है जो आसपास के ऊतकों तक फैलता नहीं है और अक्सर इसके सही लक्षण नजर नहीं आते है। कई मामलों में शुरुआती कैंसर यानि स्टेज 1 में असामान्य कोशिकाओं का समूह होता है जो अभी तक ट्यूमर नहीं बन पाता है। इसके अलावा, आधुनिक इमेजिंग तकनीकें छोटे ट्यूमर का पता लगाने में सक्षम नहीं हो सकती हैं।
स्टेज 1 कैंसर की पहचान सही नहीं हो पाने के कई कारण या फैक्टर जिम्मेदार होते है।
छोटा आकार: स्टेज 1 कैंसर का ट्यूमर बहुत छोटा होता है और उसी अंग तक सीमित रहता है, इस दौरान आप शारीरिक जांच या सामान्य इमेजिंग टेस्ट में देखना मुश्किल हो सकता है।
अस्पष्ट लक्षण: प्रारंभिक चरण में कैंसर अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखाता। लेकिन जब लक्षण दिखाई देते भी हैं, तो वे अन्य सामान्य बीमारियों जैसे थकान या दर्द की तरह महसूस हो सकते हैं।
उन्नत इमेजिंग की सीमाएं: कुछ इमेजिंग तकनीकें, जैसे कि अल्ट्रासाउंड या एमआरआई, बहुत छोटे ट्यूमर का पता लगाने में सक्षम नहीं हो सकती हैं जब तक कि वे एक निश्चित आकार तक न पहुंच जाएं।
नियमित जांच की कमी: अगर नियमित कैंसर स्क्रीनिंग जैसे मैमोग्राम (स्तन कैंसर के लिए) नहीं किया जाता है, तो स्टेज 0 या स्टेज 1 कैंसर का पता लगाना मुश्किल होता है, खासकर जब लक्षण मौजूद न हों।
कैंसर एक छोटे रूप में होता है इसकी पहचान आसानी से नहीं की जा सकती है इसके लिए यह तरीके अपनाने चाहिए।
1- स्टेज 0 या स्टेज 1 कैंसर का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका नियमित कैंसर स्क्रीनिंग करवाना। इसके लिए आप कैंसर के खतरे से बचने के लिए मैमोग्राम जैसी तकनीके अपना सकते है यह स्तन कैंसर की जांच के लिए होता है। अन्य इमेजिंग टेस्ट के दौरान असामान्य कोशिकाओं या छोटे ट्यूमर का पता चल सकता है।
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2-इस कैंसर में आपको अगर किसी तरह के असामान्य लक्षण नजर आए और सही समय पर ठीक न हो तो डॉक्टर से तुरंत संकल्प करना चाहिए।
इसलिए, प्रारंभिक चरण में कैंसर का पता लगाने के लिए नियमित जांच और किसी भी असामान्य लक्षण को डॉक्टर को बताना सबसे महत्वपूर्ण है।