
जंक फूड खाने वाली लड़कियां हो जाएं सावधान (सौ. सोशल मीडिया)
 
    
 
    
Study on Junk Food: जंक फूड का अत्यधिक सेवन अब केवल मोटापा, हृदय रोग और मधुमेह जैसे गंभीर रोगों तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह किशोरियों में एनीमिया (खून की कमी) के खतरे को भी बढ़ा रहा है। लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के क्वीन मेरी अस्पताल के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह चिंताजनक खुलासा हुआ है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की 150 किशोरियों पर किए गए इस सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं: इनमें से 89% किशोरियों में एनीमिया के मामले पाए गए।
अध्ययन, जो क्वीन मेरी की नोडल ऑफिसर प्रो. (डॉ.) सुजाता देव और काउंसलर सौम्या सिंह की देखरेख में किया गया, ने एनीमिया से ग्रस्त किशोरियों के आहार संबंधी आदतों पर प्रकाश डाला। रिसर्च में पाया गया कि ये किशोरियां पोषण युक्त भोजन से दूर थीं:–
केवल 26% किशोरियां ही नियमित रूप से हरी सब्ज़ियों का सेवन करती थीं।
सिर्फ 16.6% किशोरियां ही विटामिन ‘ए’ युक्त आहार लेती थीं।
इसके विपरीत, 25% किशोरियां प्रतिदिन जंक फूड खाती थीं।
सर्वे में शामिल 71% किशोरियों ने यह स्वीकार किया कि वे कभी-कभी मुख्य भोजन की जगह भी जंक फूड का सेवन करती थीं।
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि पोषण की कमी और जंक फूड की आदत के कारण ही लड़कियां एनीमिया से बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।
KGMU के इस अध्ययन में 12 से 15 वर्ष की ग्रामीण और शहरी किशोरियों को शामिल किया गया था। इनमें से 89% किशोरियों में एनीमिया पाया गया, जिसकी गंभीरता इस प्रकार थी: 26.6% में हल्का, 42.6% में मध्यम और 19.3% में गंभीर एनीमिया था। यह स्थिति तब है जब 74% किशोरियों को एनीमिया की जानकारी थी और लगभग आधी लड़कियां आयरन-फॉलिक एसिड सप्लीमेंट्स (52.6%) भी ले रही थीं।
प्रो. सुजाता देव ने इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या से बचाव के लिए जीवनशैली में बदलाव पर जोर दिया है। उनका सुझाव है कि जंक फूड से दूरी बनाने के लिए घर के बने भोजन को प्राथमिकता दी जाए। इसके अलावा, रोज़ाना के आहार में फाइबर और प्रोटीन से भरपूर फल, हरी सब्ज़ियां और साबुत अनाज को शामिल करना अनिवार्य है। क्रेविंग होने पर बाहर के अस्वास्थ्यकर भोजन से बचें और पर्याप्त मात्रा में पानी पीएँ। तनाव को नियंत्रित करने से भी जंक फूड की आदत पर लगाम लगाई जा सकती है, क्योंकि तनाव कई बार इस आदत को जन्म देता है।
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शरीर में आयरन की कमी एनीमिया का कारण बनती है। हमारे शरीर में अस्थि मज्जा को हीमोग्लोबिन बनाने के लिए आयरन की आवश्यकता होती है। शरीर में पर्याप्त आयरन के बिना, शरीर लाल रक्त कोशिकाओं के लिए पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं बना पाता। एनीमिया तभी दिखने लगता है, जब स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं या हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। यह फेफड़ों से पूरे शरीर के अंगों और ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुँचाने में मदद करने वाले आवश्यक घटक हैं। इसके परिणामस्वरूप ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है और पीड़ित व्यक्ति को थकान या कमज़ोरी महसूस होने लगती है।






