गुजरात समाचार पर ED की छापेमारी (फोटो- सोशल मीडिया)
अहमदाबाद: लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक बार फिर बहस के केंद्र में है। ईडी ने गुजरात के एक प्रमुख अखबार ‘गुजरात समाचार’ के दफ्तरों पर छापेमारी की, जिससे विपक्ष ने सवाल खड़े कर दिये। इस कार्रवाई के बाद अखबार के मालिक बाहुबली शाह को हिरासत में लिया गया, हालांकि उन्हें स्वास्थ्य कारणों से अंतरिम जमानत मिल गई। इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि यह सिर्फ एक मीडिया संस्थान पर हमला नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आवाज को खामोश करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि भारत को न डर से चलाया जा सकता है, न डंडे से।
कांग्रेस ने इस छापेमारी को सरकार द्वारा आलोचना करने वाली आवाजों को दबाने की कोशिश बताया है। राहुल गांधी ने कहा कि जब सत्ता को आईना दिखाने वाले अखबारों पर ताले लगाए जाते हैं, तब लोकतंत्र की बुनियाद हिलने लगती है। कांग्रेस इस मामले को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन की योजना भी बना रही है और इस कार्रवाई को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया जा रहा है।
गुजरात समाचार को खामोश करने की कोशिश सिर्फ एक अख़बार की नहीं, पूरे लोकतंत्र की आवाज़ दबाने की एक और साज़िश है।
जब सत्ता को आईना दिखाने वाले अख़बारों पर ताले लगाए जाते हैं, तब समझ लीजिए लोकतंत्र खतरे में है।
बाहुबली शाह की गिरफ्तारी डर की उसी राजनीति का हिस्सा है, जो अब मोदी…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 16, 2025
ईडी की कार्रवाई से भड़का विपक्ष
प्रवर्तन निदेशालय की इस छापेमारी को लेकर विपक्ष खासा हमलावर हो गया है। राहुल गांधी ने सार्वजनिक बयान में कहा कि गुजरात समाचार पर कार्रवाई डर की राजनीति का हिस्सा है, जो अब मौजूदा शासन की पहचान बन चुकी है। उन्होंने इस कार्रवाई को सीधे-सीधे लोकतंत्र पर हमला करार दिया। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि यह कदम प्रेस की स्वतंत्रता को कुचलने की एक और कोशिश है।
राजनीतिक बहस और मीडिया की आजादी पर सवाल
इस मामले ने राजनीतिक हलकों में तीखी बहस छेड़ दी है। एक ओर जहां कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बता रहे हैं, वहीं कुछ पक्ष इसे कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा मान रहे हैं। मीडिया जगत में भी इस कार्रवाई को लेकर चिंता जताई जा रही है, क्योंकि इससे लोकतंत्र की नींव मानी जाने वाली प्रेस की आजादी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।