टीवी एक्टर के टैग पर छलका विक्रांत मैसी का दर्द: 'विनोद सर ने भी कहा था...'
Vikrant Massey On Vidhu Vinod Chopra: एक्टर विक्रांत मैसी, जो आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं, उन्होंने अपनी करियर जर्नी टेलीविजन से शुरू की और फ़िल्म ’12th फेल’ के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतकर सफलता की नई इबारत लिखी। उनकी दमदार अदाकारी को फैंस बहुत पसंद करते हैं। हाल ही में, उन्होंने एबीपी न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में अपनी संघर्ष यात्रा और इंडस्ट्री के पूर्वाग्रहों पर खुलकर बात की।
विक्रांत ने बताया कि जब वह ’12th फेल’ के लिए बातचीत कर रहे थे, तो निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा ने भी उनसे कहा था कि “तू तो टीवी एक्टर है। तेरी पिक्चर देखने कोई थिएटर में क्यों आएगा।” यह टिप्पणी न केवल इंडस्ट्री के पूर्वाग्रह को दर्शाती है, बल्कि विक्रांत की उस लंबी लड़ाई को भी सामने लाती है, जिसे उन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर जीता है।
अपने लंबे संघर्ष पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए, विक्रांत ने बहुत ही विनम्रता दिखाई। उन्होंने कहा, “संघर्ष हम सब के जीवन में होता है। जैसे आपने कहा कि सबके अपने-अपने स्ट्रगल होते हैं। मेरे भी अपने रहे हैं। आपके भी अपने रहे हैं। मैं क्या बताऊं।” यह दर्शाता है कि विक्रांत अपने संघर्षों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के बजाय, इसे जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा मानते हैं। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि विनोद सर की बात कहीं न कहीं सच भी थी, क्योंकि यह उस समय की इंडस्ट्री की आम सोच थी।
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विक्रांत ने खुलासा किया कि 16 साल की उम्र में काम करना उनकी पसंद नहीं, बल्कि एक मजबूरी थी। उन्होंने मार्मिकता से कहा, “कोई 16 साल का बच्चा अपनी च्वॉइस से घर के बाहर जाकर काम नहीं करना चाहता। जब उसी बिल्डिंग से उतरकर देखते हैं कि आपके दोस्त क्रिकेट खेल रहे हैं और आपको ट्रेन पकड़कर काम पर जाना है। तो इसके पीछे कई कारण होते हैं। आपको खुद को सपोर्ट करना होता है। आपको फैमिली को और अपनी पढ़ाई को सपोर्ट करना होता है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस संघर्ष के लिए उन्हें कोई पछतावा नहीं है।
विक्रांत ने 2004 में टीवी से शुरुआत करने की मुश्किलों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि उस वक्त एक व्यापक धारणा यह थी कि “टीवी के एक्टर्स फिल्मों में काम नहीं कर सकते और करेंगे भी तो हीरो के दोस्त बनकर।” उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी शुरुआत भी कहीं न कहीं ऐसे ही हुई थी। यह ‘टीवी एक्टर’ का टैग उनके लिए एक बाहरी नहीं, बल्कि एक आंतरिक संघर्ष बन गया था। विक्रांत ने अंत में कहा कि यह इंटरनल स्ट्रगल तो आज भी चल रहा है क्योंकि उन्हें अभी बहुत सी कहानियाँ कहनी हैं, और इसलिए संघर्ष चलता रहेगा। उनका यह सफर दिखाता है कि प्रतिभा और दृढ़ संकल्प से किसी भी पूर्वाग्रह को तोड़ा जा सकता है।