
देवानंद का भांजा होकर भी नहीं मिला कोई फायदा
Shekhar Kapur Birthday Special Story: भारतीय सिनेमा के जाने-माने निर्देशक शेखर कपूर आज अपना 80वां जन्मदिन मना रहे हैं। हिंदी, अंतरराष्ट्रीय और हॉलीवुड फिल्मों में अपनी अलग पहचान बनाने वाले शेखर कपूर ने इंडस्ट्री को कई ऐसी फिल्में दी हैं जो आज भी इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हैं। लेकिन उनकी सफलता का रास्ता उतना आसान नहीं था जितना लोग मानते हैं। सुपरस्टार देवानंद के भांजे होने के बावजूद शेखर कपूर ने इंडस्ट्री में कदम जमाने के लिए संघर्ष किया।
शेखर कपूर का जन्म 1975 में लाहौर में हुआ। वह पहले लंदन में चार्टर्ड अकाउंटेंट की नौकरी करते थे। लेकिन सिनेमा के प्रति जुनून ने उन्हें अपनी नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया। भारत लौटकर उन्होंने निर्देशन और अभिनय में हाथ आजमाना शुरू किया। शुरुआत उन्होंने 1975 की फिल्म ‘जान हाजिर हो’ से की, लेकिन असली पहचान उन्हें निर्देशन के जरिए मिली।
बहुत कम लोग जानते हैं कि देव आनंद शेखर कपूर के मामा थे। रिश्तेदार होने के बावजूद शेखर कपूर ने कभी भी इस कनेक्शन का फायदा नहीं उठाया। न ही उन्होंने इंडस्ट्री में एंट्री लेने के लिए किसी तरह की सिफारिश का सहारा लिया। वे अपनी मेहनत और प्रयोगधर्मी दृष्टिकोण की वजह से अलग पहचान बना पाए। शेखर कपूर ने दो शादियां कीं हली मेधा से, जो बाद में अनूप जलोटा से जुड़ीं। दूसरी शादी उन्होंने एक्ट्रेस सुचित्रा कृष्णमूर्ति से की, जिनसे बाद में वे अलग हो गए।
1987 में शेखर कपूर ने ऐसी फिल्म बनाई जिसने उन्हें भारत के टॉप डायरेक्टरों में शामिल कर दिया ‘मिस्टर इंडिया’। अनिल कपूर और श्रीदेवी अभिनीत यह फिल्म न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही बल्कि भारतीय सिनेमा की पहली मेगा सुपरहीरो फिल्म मानी गई। फिल्म के गाने, कहानी और तकनीकी प्रयोग उस दौर के लिहाज़ से बेहद आधुनिक थे।
अनिल कपूर ने खुलकर बताया है कि आइकॉनिक गाने काटे नहीं कटते ये दिन ये रात में उन्होंने शेखर कपूर से जबरदस्ती काम मांगा, क्योंकि वे इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनना चाहते थे। यह फिल्म अनिल कपूर के करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई और उन्हें नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। फिल्म भारत के साथ-साथ चीन में भी सुपरहिट रही और आज भी इसे बॉलीवुड की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में गिना जाता है।
ये भी पढ़ें- अक्षय खन्ना का गंजेपन ने छीना काम, फिर मिला एक फिल्म, बन गया एक्टर का धांसू करियर
शेखर कपूर ने सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि हॉलीवुड में भी अपना लोहा मनवाया। उनकी फिल्म ‘एलिज़ाबेथ’ ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई। भारत सरकार ने 2000 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया, जबकि 1998 में उन्हें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड भी मिला।






