
परेश रावल ने कहा- 'ताजमहल प्यार का नहीं, अब नफरत का प्रतीक', अपनी फिल्म 'द ताज स्टोरी' पर दी सफाई
Paresh Rawal On Taj Mahal Controversy: वरिष्ठ अभिनेता परेश रावल अपनी बहुमुखी प्रतिभा के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में अपनी नई फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ के प्रमोशन के दौरान, अभिनेता ने अपने 2017 के एक वायरल सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में खुलकर बात की, जिसने उस समय काफी सुर्खियाँ बटोरी थीं।
यह पोस्ट तब का है जब ताजमहल के इतिहास और उसकी वास्तुकला को लेकर देश में गरमागरम बहस चल रही थी।
2017 में, परेश रावल ने उन लोगो की कड़ी आलोचना की थी जो ताजमहल को मुगल वास्तुकला का हिस्सा मानने से इनकार करते हुए उसके इतिहास पर सवाल उठा रहे थे। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (तब ट्विटर) पर लिखा था कि ताजमहल, जो कभी प्यार का प्रतीक था, अब नफरत का प्रतीक बन गया है। उन्होंने इस पूरे विवाद को ‘बेवकूफी भरा, अनावश्यक, दुखद और निराशाजनक विवाद’ करार दिया था।
आईएएनएस से बात करते हुए, परेश रावल ने अपने पुराने पोस्ट पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा, “मेरा पोस्ट उस समय की मीडिया रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया पर था। उस समय कुछ अखबारों और मीडिया हाउसों में यह दावा किया जा रहा था कि ताजमहल एक हिंदू स्मारक है।”
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अभिनेता ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं था। उन्होंने कहा, “मैं बस उस बेकार विवाद के खिलाफ हूँ, जो समाज में केवल नफरत फैलाता है।”
परेश रावल ने अपनी नई फिल्म ‘द ताज स्टोरी‘ के बारे में बात करते हुए कहा, “मेरी फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ में कोई हिंदू-मुस्लिम विवाद नहीं है। फिल्म का ध्यान केवल इतिहास पर है और मैंने इसे निष्पक्ष नजरिए से पेश किया है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी फिल्म सिर्फ इतिहास और शिक्षा से जुड़े पहलुओं को उजागर करती है। अभिनेता ने बताया कि उन्होंने शिक्षा बोर्ड और इतिहासकारों से सलाह ली है और यह जानने की कोशिश की है कि हमे क्यों गलत जानकारी सिखाई जाती रही है।
परेश रावल ने अंत में कहा, “2017 में जो कुछ मैंने कहा था और अब जो फिल्म में कर रहा हूँ, दोनों ही मेरे विचारों का हिस्सा हैं। मेरे लिए यह व्यक्तिगत राय का सवाल नहीं, बल्कि समाज और इतिहास के प्रति जिम्मेदारी का मामला है।”






