नवाजुद्दीन सिद्दीकी को शोहरत पाने के लिए करना पड़ा लंबा संघर्ष और इंतजार
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने खुद एक बार बताया था कि उन्हें अपनी ही फिल्म के शूटिंग सेट पर जाने से लोग रोक देते थे, क्योंकि वह एक्टर की तरह नहीं दिखाई देते। नवाजुद्दीन सिद्दीकी को शोहरत आसानी से नहीं मिली है उनकी लोकप्रियता के पीछे लंबे संघर्ष की कहानी छिपी है। उन्होंने 1999 में रिलीज हुई फिल्म सरफरोश से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत की थी। लेकिन उन्हें शोहरत गैंग्स ऑफ़ वासेपुर नाम की फिल्म से मिली। सरफरोश फिल्म भले ही 1999 में रिलीज हुई थी लेकिन फिल्म की शुरुआत 1992 में हुई थी, ऐसे में नवाजुद्दीन सिद्दीकी के संघर्ष में लगे वक्त को समझा जा सकता है।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी का जन्म 19 मई 1974 में हुआ। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के बुधना में जन्मे नवाजुद्दीन मुस्लिम जमींदार परिवार में पैदा हुए थे। वह अपने 8 भाई बहनों में सबसे बड़े थे। उनका अधिकांश वक्त उत्तराखंड में बिता, उत्तराखंड के ही गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय उन्होंने केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया। उसके बाद नौकरी की तलाश में दिल्ली चले गए, लेकिन फैक्ट्री में काम करते-करते वह नाटक देखने पहुंचे और अभिनय की ओर आकर्षित हो गए। उसके बाद उन्होंने एनएसडी में एडमिशन लिया एक्टिंग सीखी और फिर मुंबई आ गए।
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मुंबई आने के कुछ दिनों बाद ही में आमिर खान की फिल्म सरफरोश में छोटी सी भूमिका निभाने का मौका भी मिल गया, लेकिन वह उस फिल्म से अपनी पहचान बनाने में पूरी तरह से नाकामयाब रहे। साल 2000 में आई फिल्म शूल में भी उन्होंने छोटा किरदार निभाया था। फिल्म जंगल में भी वह नजर आए। राजकुमार हिरानी की फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में भी वह दिखाई दिए। लेकिन शोहरत नहीं मिली।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी को फिल्मों में सफलता नहीं मिल रही थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, फिल्मों में छोटी-छोटी भूमिका निभाते रहे। ब्लैक फ्राईडे फिल्म 2007 में आई थी। 2009 में वह देव डी नाम की फिल्में में नजर आए। इसके अलावा उन्होंने साल 2010 में पीपली लाइव नाम की फिल्म में भी पत्रकार की भूमिका निभाई। लेकिन 2012 में आई फिल्म गैंग ऑफ वासेपुर ने उन्हें शोहरत की बुलंदी पर पहुंचाया। उसके बाद नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा, बजरंगी भाईजान, मांझी द माउंटेन मैन, रईस, हीरोपंती 2 जैसी फ़िल्में में उन्होंने जबरदस्त अभिनय का परिचय दिया और आज वह बॉलीवुड का ऐसा नाम बन गए हैं जिन्हें मंझा हुआ कलाकार माना जाता है।