ममता कुलकर्णी ने 10 करोड़ वाले आरोप पर तोड़ी चुप्पी, एक्ट्रेस ने बताया सच
मुंबई: ममता कुलकर्णी ने सोमवार को किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे दिया है। कुछ दिन पहले ही उन्हें इस पद से निष्कासित किया गया था, लेकिन अपने बयान में ममता कुलकर्णी ने बड़ा खुलासा किया है कि उन पर जो आप लग रहा था कि 10 करोड़ रुपए देकर वह महामंडलेश्वर बनी हैं, इस आरोप में सच्चाई नहीं है। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें महामंडलेश्वर बनाने के लिए दो लाख रुपए मांगे गए थे, लेकिन उनके पास इतनी रकम भी नहीं थी और उनके बदले यह रकम अंबागिरी महामंडलेश्वर ने दी इस दौरान उन्होंने यह बताया कि अध्यात्म में पैसे की कोई कीमत नहीं होती। सब कुछ आपकी घोर तपस्या और ध्यान से होता है।
ममता कुलकर्णी ने सोमवार को किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो जारी करके अपना बयान भी जारी किया है। जिसमें वह यह बता रही है कि उन्होंने अध्यात्म में 25 साल से साधना की है। वह पहले भी साध्वी थी और आगे भी साध्वी बनी रहेंगी। लेकिन अब वह किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे रही हैं। इतना ही नहीं इस दौरान उन्होंने यह भी बताया मैंने कुछ नहीं किया यह सब मां चंडी है, जिसकी आराधना मैंने की, अभी वह मुझे संकेत दे रही हैं कि इन सब चीजों से बाहर निकलना चाहिए। मुझे सामने से यह दिया गया था, मैंने सोचा ठीक है एक प्रकार का सर्टिफिकेट होता है, इसके बाद में जो आएंगे उन्हें अपना ज्ञान दूंगी। आगे चलकर देखेंगे। मैं अपनी समाधि कम नहीं करूंगी। मैं इस पदवी से बाहर जा रही हूं। इसको वापस कर रही हूं।
ये भी पढ़ें- रणवीर इलाहाबादिया को सम्मान दे चुके हैं नरेंद्र मोदी, युट्यूबर के असभ्य भाषा…
ममता कुलकर्णी करीब 25 साल के बाद भारत वापस लौटी थी, तब से वह चर्चा में आई, उसके बाद उन्होंने महाकुंभ के दौरान प्रयागराज पहुंचकर दीक्षा ली, इतना ही नहीं उन्हें किन्नर अखाड़े की तरफ से महामंडलेश्वर पद भी दिया गया। उनका पट्टाभिषेक भी कराया गया था और उसके बाद उन्हें नया नाम भी दिया गया। लेकिन अब सब कुछ उनसे छिन गया है। कुछ दिनों पहले ही उन्हें किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से निष्कासित किया गया और अब उन्होंने अपने इस्तीफा का ऐलान भी किया है। अपनी बातचीत में उन्होंने यह भी बताया कि मुझे महामंडलेश्वर पद के लिए 2 लाख रुपए मांगे गए थे। जब मैंने कहा कि मेरे पास पैसा नहीं है, तो जय अंबागिरी महामंडलेश्वर ने अपनी जेब से पैसा निकाल कर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को दिया था।