
Kader Khan Death Anniversary (फोटो क्रेडिट-इंस्टाग्राम)
Kader Khan Death Anniversary: आज भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता, संवाद लेखक और हास्य सम्राट कादर खान की पुण्यतिथि है। कादर खान ने पर्दे पर अपनी संवाद अदायगी और आंखों के एक्सप्रेशन से हर किरदार को जीवंत कर दिया, लेकिन इस महान कलाकार का बचपन बेहद मुश्किलों और गरीबी से भरा रहा था।
300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाले और 250 से ज्यादा फिल्मों में डायलॉग लिखने वाले कादर खान एक गरीब परिवार से थे, जिन्हें ये नहीं पता होता था कि सुबह के खाने के बाद शाम का खाना मिलेगा या नहीं। कादर खान का परिवार अफगानिस्तान में रहता था और जैसे-तैसे अपना गुजारा कर रहा था, लेकिन कादर खान के जन्म के बाद वे मुंबई आ गए। दरअसल, कादर खान से पहले उनके तीन भाई थे, जिनकी मौत 8 साल की उम्र होने तक हो चुकी थी। इसके बाद, अभिनेता के जन्म के बाद उनकी मां के मन में डर बैठ गया था कि वे उन्हें भी खो देंगी। ऐसे में वे उन्हें मुंबई ले आईं।
कादर खान का जन्म अफगानिस्तान के एक गरीब परिवार में हुआ था। अभिनेता ने खुद एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि उनके जन्म से पहले उनके तीन बड़े भाई थे, जिनकी 8 साल की उम्र से पहले ही मौत हो चुकी थी। इस डर से कि कहीं वह अपने चौथे बच्चे को भी न खो दें, उनकी माँ उन्हें लेकर अफगानिस्तान से मुंबई आ गईं।
अभिनेता ने बताया था कि जब वह केवल 1 साल के थे, तब उनकी माँ उन्हें मुंबई के कामाठीपुरा इलाके में ले आई थीं। उन्होंने कहा था, “मैं बहुत गंदे माहौल में पला-बड़ा। एक तरफ वैश्यावृत्ति होती थी और दूसरी तरफ शराब की दुकानें खुले में चलती थीं।”
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मुंबई आकर भी कादर खान के परिवार की मुश्किलें कम नहीं हुईं। उनके पिता घर का खर्चा नहीं उठा पा रहे थे, जिसकी वजह से उनके माता-पिता का तलाक हो गया।
इसके बाद, उनके नाना ने उनकी माँ की दूसरी शादी करा दी। कादर खान ने बताया था कि वह एक माँ और दो पिता के बीच पिस रहे थे। उनके सौतेले पिता, जो कारपेंटर थे, काम नहीं करना चाहते थे। वह कादर खान को उनके सगे पिता के पास पैसे मांगने के लिए भेजते थे। इस मुश्किल वक्त को याद करते हुए कादर खान ने बताया कि वह छोटी सी उम्र से ही घर का चूल्हा जलाने के लिए भीख भी मांगते थे।
हालांकि, माँ द्वारा दी गई हिम्मत और भरोसे की वजह से ही वह पढ़-लिखकर कादर खान बन पाए। अपनी हरफनमौला प्रतिभा के दम पर उन्होंने 300 से ज़्यादा फिल्मों में अभिनय किया और 250 से ज़्यादा फिल्मों के लिए यादगार डायलॉग लिखे। उनके अभिनय में उनके गुजरे वक्त की संजीदगी और जमीन से जुड़ेपन की छाप साफ दिखती थी।






