
नागपुर न्यूज
Maharashtra school student verification drive: महाराष्ट्र के शिक्षा जगत में पारदर्शिता लाने और फर्जी उपस्थिति के खेल को खत्म करने के लिए राज्य सरकार ने एक बड़ी मुहिम की तैयारी पूरी कर ली है। राज्य के स्कूलों में विद्यार्थियों की वास्तविक संख्या और शिक्षकों की ‘संच मान्यता’ की पड़ताल के लिए अब शिक्षा विभाग और राजस्व विभाग की संयुक्त टीमें एक साथ मैदान में उतरेंगी।
सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, जिला कलेक्टर (जिलाधिकारी) के नेतृत्व में विशेष टीमों का गठन किया जाएगा। ये टीमें बिना किसी पूर्व सूचना के स्कूलों का औचक निरीक्षण करेंगी। टीम का मुख्य कार्य हाजिरी रजिस्टर पर दर्ज विद्यार्थियों के नाम और कक्षा में शारीरिक रूप से उपस्थित छात्रों के बीच मिलान करना होगा। यदि रजिस्टर और वास्तविकता में अंतर पाया जाता है, तो संबंधित शिक्षकों और प्राचार्यों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
किसी भी बड़े निरीक्षण से पहले प्रशासन ने त्रिस्तरीय जांच का ढांचा तैयार किया है। सबसे पहले संबंधित स्कूल के प्राचार्य को रजिस्टर में दर्ज जानकारी को प्रमाणित करना होगा। इसके बाद केंद्राध्यक्ष और फिर गट शिक्षा अधिकारी (BEO) द्वारा इस डेटा का भौतिक सत्यापन किया जाएगा। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संच मान्यता के अनुसार शिक्षकों का अनुपात छात्रों की वास्तविक संख्या के अनुरूप है या नहीं।
मार्च 2025 के सरकारी निर्णय का हवाला देते हुए शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि जिन स्कूलों या विशेष रूप से 9वीं और 10वीं की कक्षाओं में छात्र संख्या 20 से कम पाई जाएगी, उन्हें बंद करने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। हालांकि, निदेशक कार्यालय ने इस शर्त में कुछ ढील देने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा है, लेकिन वर्तमान में कड़ी कार्रवाई की संभावना बनी हुई है।
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इस सत्यापन मुहिम का सीधा असर शिक्षकों के पदों पर पड़ेगा। जनवरी माह में संच मान्यता और शिक्षकों के समायोजन (Adjustment) की प्रक्रिया शुरू होगी। जांच के बाद जहाँ छात्र संख्या कम मिलेगी, वहां के अतिरिक्त (Surplus) शिक्षकों को उन स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा जहाँ शिक्षकों के पद रिक्त हैं। इससे न केवल सरकारी खजाने पर पड़ने वाला बोझ कम होगा, बल्कि शिक्षण व्यवस्था में संतुलन भी आएगा।
राज्य सरकार की इस मुहिम से उन स्कूलों और संस्थापकों में हड़कंप मचा हुआ है, जो कागजों पर फर्जी छात्र संख्या दिखाकर सरकारी अनुदान और शिक्षकों के पदों का लाभ उठा रहे थे। अब सबकी निगाहें जांच टीम के आगमन और उसके बाद होने वाली कार्रवाई पर टिकी हैं।






